वैश्विक आंतकी संगठनों पर वित्तीय प्रतिबंध लगाने के लिए प्रहरी के रूप में काम करने वाला संगठन फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को एक बार फिर से ग्रे लिस्ट में बरकरार रखने का फ़ैसला किया है।
पेरिस में चल रही एफएटीएफ की इस बैठक में पाकिस्तान की तरफ से वित्त और योजना मामले के मंत्री डॉ. शमसाद अख़्तर ने अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ भाग लिया। जियो टीवी के मुताबिक उन्होंने बैठक में बताया कि पाकिस्तान ने पहले ही आतंकी फंडिंग और मनी लॉड्रिंग पर रोकथाम के लिए कई बड़े क़दम उठाए हैं।
पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल ने इस्लामाबाद द्वारा सक्रिय और प्रतिबंधित आतंकी संगठन पर लगाम लगाने कि प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।
पाकिस्तान ने कहा कि उनकी सरकार की तरफ से आतंक को वित्तीय मदद नहीं मिलने की दिशा में कई क़दम उठाए गए हैं, मसलन मौज़ूदा क़ानून को सख़्त बनाना और यह सुनिश्चित करना की इसे ठीक से लागू किया जाए।
अख़्तर ने एफएटीएफ से अनुरोध किया है कि पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटाया जाए। बता दें कि 24-29 जून के बीच पेरिस में एफएटीएफ की 6 दिवसीय बैठक हो रही है।
पाकिस्तान ने एफएटीएफ द्वारा ब्लैक लिस्ट में डाले जाने से बचने के लिए 28 सूत्री योजना लागू करने का ऐलान किया है। इसके तहत उसने आईएस, अलकायदा, लश्कर ए ताइबा, जैश ए मोहम्मद, हक्कानी नेटवर्क, जमात उद दावा (जेयूडी) एवं इसकी सहयोगी फलाह ए इंसानियत और तालिबान से संबद्धित व्यक्तियों को वित्तीय मदद रोकने का प्रस्ताव दिया है।
पाकिस्तान ने इसे लागू करने के लिए 15 महीने का समय मांगा है।
एफएटीएफ शुक्रवार को सुनाएगा अंतिम फ़ैसला
एफएटीएफ शुक्रवार को पाकिस्तान की कार्ययोजना पर अपना आख़िरी फैसला सुनाएगा। अगर एफएटीएफ पाकिस्तान के प्रस्ताव को खारिज कर देता है तो उसे ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाएगा।
बता दें कि इससे पूर्व फरवरी, 2018 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट की निगरानी सूची में डाला गया था। अगर पाकिस्तान को फिर से ब्लैक लिस्ट किया जाता है तो उसकी अर्थव्यवस्था को गहरा आघात पहुंचेगा।
क्या है एफएटीएफ
1989 में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था को मनी लांड्रिंग और आतंकी फंडिंग जैसे खतरों से बचाने के लिए दुनिया के 37 देशों ने मिलकर इसका गठन किया था।
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Source : News Nation Bureau