उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आज हुई अपना दल (एस) की मासिक बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आशीष पटेल ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पर हमला बोला. उन्होंने कहा, ''अमित शाह ने वंचितों, पिछड़ों को सम्मान देकर बनाए गुलदस्ते के दम पर बहुमत हासिल किया. अब अमित शाह के बनाए गुलदस्ते के फूल मुरझा रहे हैं और निराश हो रहे हैं. एनडीए से निराशा बढ़ रही है. इस पर विचार होना चाहिए. कार्यकर्ता, विधायक और मंत्रियों की नाराजगी दूर होनी चाहिए.''
आशीष पटेल ने कहा, ''हमारी पार्टी ने जिले के 50 प्रतिशत थाने वंचित या पिछड़ों को देने की बात कही है. जिले के डीएम, एसपी की कुर्सी में से एक को वंचित या पिछड़ों को देने की कही है. हम बंद कमरे में ये बात कहते रहे, लेकिन हमारी कोई बात नही सुनी गई. जब हमने खुलकर बात कही तो हमारे खिलाफ साजिश रची जाने लगी. हम पर सीटों और मंत्री पद मांगने का आरोप लगने लगे. मैंने जातीय जनगणना के आधार पर आरक्षण का बंटवारा करने की मांग रखी. मैं सरकार से अपने सहयोगी दलों के प्रति व्यवहार में परिवर्तन लाने की मांग कर रहा हूं. उत्तर प्रदेश के कर्ता-धर्ता को अपने आचरण में सुधार लाना होगा.''
पार्टी अध्यक्ष ने कहा, ''विभीषण पैदा करने पर ध्यान न देने के बजाय जीतने पर ध्यान दें. बीजेपी का एक धड़ा पीएम मोदी को दोबारा पीएम बनने नहीं देना चाहता. हम सम्मान के बगैर अमित शाह के साथ नही खड़े होंगे. हम ब्लैकमेलर नहीं हैं कि रोज बोलें- पानी सिर से ऊपर निकल जाने के बाद बोल रहे हैं. यूपी के विभिन्न आयोगों में हमारे एक भी आदमी को रखने योग्य नहीं समझा. हमारी लड़ाई सिर्फ अपमानजनक व्यवहार को लेकर है. हमें कुछ नही चाहिए, लेकिन अपमान नहीं सहेंगे. दिल्ली इतने छोटे दिल की नहीं है, यूपी के कर्ताधर्ता को अपना दिल बड़ा करना होगा. हमने अपनी बात उचित फोरम पर रख दी है. देखिए दिल्ली क्या निर्णय लेती है? आज के बाद अब अपमान नहीं सहा जाएगा. हमारी नेता अनुप्रिया जो भी निर्णय लेंगी, पूरी पार्टी उनका साथ देगी.''
इसके बाद पार्टी की बड़ी नेता और केंद्रीय राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने भी अपनी बातें रखीं. उन्होंने कहा, ''आज हम UP और केंद्र सरकार में भागीदार हैं. हम वंचितों और पिछड़ों की आवाज उठाते रहे हैं. न्यायपालिका में वंचित, पिछड़ों की मौजूदगी न के बराबर है. हमने UP सरकार से मांग की थी कि सभी जिलों में DM और SSP की नियुक्ति में से कम से कम एक पद वंचित और पिछड़ों को जरूर मिले. हमने थाने और तहसील में भी इसी व्यवस्था को लागू करने की मांग की थी. बिहार की तरह आउटसोर्सिंग और संविदा की भर्तियों में भी आरक्षण व्यवस्था लागू होनी चाहिए. सामाजिक न्याय समिति ने पिछड़ों के 27 फीसदी आरक्षण को 3 वर्गों में बांटने की सिफारिश की है.''
लोकसभा सदस्य अनुप्रिया ने कहा, ''अपना दल का स्पष्ट मत है कि हम आरक्षण के वर्गीकरण के खिलाफ नहीं हैं. लेकिन क्या UP सरकार ने पिछड़ों की संख्या की गिनती की है? अगर ऐसी कोई गिनती नहीं हुई है तो सामाजिक न्याय समिति किस आधार पर आरक्षण का वर्गीकरण करना चाहती है? सरकार को पहले जातिगत जनगणना करानी ही होगी, तभी आरक्षण का वर्गीकरण होगा. अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो इसका साफ मतलब है कि सरकार पिछड़ों को आपस में लड़ाना चाहती है. हम अब तक पूरी ईमानदारी से BJP के साथ रहे हैं, लेकिन अगर हमारे कार्यकर्ताओं को सम्मान नहीं मिलेगा तो हम चुप नहीं बैठेंगे. BJP के केंद्रीय नेतृत्व से कोई शिकायत नहीं है. केंद्र सरकार हमें पूरा सम्मान देती है.''
Source : News Nation Bureau