विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय के राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास निगम (एनआरडीसी) ने वायरस के खिलाफ लड़ने के लिए शरीर को मजबूत और कवच बनाने वाली फीफाट्रोल दवा को कोविड उपचार एवं बचाव तकनीकों में शामिल किया है. इससे पहले अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल के डॉक्टर भी अध्ययन के बाद इसे आयुर्वेदिक एंटीबॉयोटिक कहा था. इसके अनुसार एमिल फार्मास्युटिकल के गहन अध्ययन के बाद तैयार दवा फीफाट्रोल में सुदर्शन घन वटी, संजीवनी वटी, गोदांती भस्म, त्रिभुवन कीर्ति रस व मत्युंजय रस जड़ी बूटियां हैं जिनके जरिए यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने में सहायक है.
कोविड जांच, उपचार और निगरानी तीन बिंदुओं पर केंद्रित एनआरडीसी की रिपोर्ट में बताया गया है कि इस वक्त करीब 13 मोबाइल एप ऐसे हैं जिनके जरिए इस महामारी से जुड़ी सत्य जानकारियां प्राप्त की जा सकती हैं. यह सभी भारतीय एप निशुल्क डाउनलोड किए जा सकते हैं जिसमें आरोग्य सेतु भी शामिल है.
इनके अलावा संक्रमण के सर्विलांस को लेकर करीब 22 तकनीकों पर काम चल रहा है. इनके अलावा तकरीबन 31 अध्ययन जांच किट्स को लेकर संचालित हैं. करीब 60 अध्ययन ऐसे हैं जो अस्पतालों में दिए जाने वाले कोविड उपचार पर केंद्रित हैं. आईआईटी रोपड़ के इंजीनियर ऐसे वार्डबूट का निर्माण कर रहा है जो संबंधित अस्पताल के कंट्रोल रूम से रिमोट द्वारा संचालित होगा और कोविड मरीज को उसके कमरे में जाकर दवा और खाना दे सकेगा.
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सीएसआईआर के महानिदेश डॉ. शेखर सी मांडे ने एनआरडीसी द्वारा तैयार 200 कोविड तकनीकों की इस रिपोर्ट को लांच किया. इसमें कोविड की पहचान करने, जांच करने और उपचार एवं रोकथाम की अनेक तकनीकों को सूचीबद्ध किया गया है. फीफाट्रोल को उपचार एवं रोकथाम तकनीकों की श्रेणी में स्थान दिया गया है.
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एनआरडीसी के प्रबंध निदेशक डा. एच. पुरुषोत्तम के अनुसार, सभी हितधारकों के लाभ के लिए सर्वाधिक प्रासंगिक और उभरती हुई स्वदेशी एवं नवाचार तकनीकों का संकलन किया है. यह संकलन नीति निर्माताओं, उद्योग जगत और शोधकर्ताओं के लिए एक संदर्भ का काम करेगा.