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बर्फीली सीमा पर जवानों को गर्म रखेगा आर्मी कैंप, 50 किमी से पहचान में आएगा दुश्मन

इसमें लगे हाईटेक सेंसर्स दुश्मनों की आहट को 50 किलोमीटर दूर से भांप लेंगे और कैंप में रहने वाले जवानों को अलर्ट भी करेंगे. समय रहते जवान अलर्ट होंगे और दुश्मनों के हमलों से अपना बचाव भी कर सकेगें.

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Nihar Saxena
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बेहद बर्फीले इलाकों में तैनात सैनिकों के लिए अच्छी खबर.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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देश के जवानों के लिए मेरठ के एमआईईटी इंजिनियरिंग कॉलेज के अटल कम्युनिटी इनोवेशन सेंटर के अविष्कारक श्याम चौरसिया ने एक ऐसा कैंप तैयार किया है, जो न सिर्फ बर्फीली सीमा पर तैनात जवानों को सर्दी से बचाएगा, बल्कि उन्हें तकरीबन 50 किमी दूर तक दुश्मन सेना पर नजर भी रखने में भी मदद करेगा. इंजीनियरिंग के इस छात्र द्वारा तैयार यह चार्जेबल स्मार्ट आर्मी कैंप जवानों को सुरक्षा देने के साथ देश की रक्षा में चौकन्ना रहने का जरिया बनेगा. इस कैंप के अंदर छोटे-छोटे हीटर प्लेट्स लगे हैं. इन्हें हीट करने के लिये सोलर या बिजली की जरुरत नहीं है, बल्कि इन हीटर प्लेट्स को कैंप में रहने वाले जवान अपने हाथों से एक फिजिकल रोटेड चार्जर की मदद से चार्ज कर सकते हैं.

उन्होंने बताया कि बैकअप के लिए इसमें बैटरी भी है. जरूरत पड़ने पर इलेक्ट्रिक को जमा कर बाद में इस्तेमाल किया जा सकता. इसमें लगे हाईटेक सेंसर्स दुश्मनों की आहट को 50 किलोमीटर दूर से भांप लेंगे और कैंप में रहने वाले जवानों को अलर्ट भी करेंगे. समय रहते जवान अलर्ट होंगे और दुश्मनों के हमलों से अपना बचाव भी कर सकेगें. चार्जेबल स्मार्ट आर्मी कैंप में 4 ह्यूमन रेडयो सेंसर लगे हैं. ये दुश्मन के नजदीक आने की जानकारी जवानों तक पहुंचाने में मदद करेंगे. इन सेंसर्स को लैंड माइन्स की तरह कैंप के चारों ओर लगाया जाता है. यह रेडियो ह्यूमन सेंसर, रेडियो फ्रीक्वेंसी के जरिये जवानों के कैंप से जुडा होता है. दुश्मन के नजदीक आने पर ये सेंसर्स उन्हें पहचान जाते हैं.

इसे बनाने वाले छात्र श्याम चौरसिया का कहना है कि कई बार दुश्मन आर्मी, सीआरपीएफ कैंपों में रात के समय हमला करते हैं. अचानक हमले की जानकारी जवानों को पता नहीं होती है. जान माल का ज्यादा नुकसान होता है. इस तरह की घटनाएं कई बार मैंने समाचार पत्रों में पढ़ीं. फिर इसका आईडिया आया. मेरठ के एमआईईटी इंजिनियरिंग कॉलेज व अटल कम्युनिटी इनोवेशन सेंटर की मदद से एक चार्जेबल स्मार्ट आर्मी कैंप का प्रोटोटाईप प्रोजेक्ट तैयार किया. चौरसिया का कहना है कि इस आर्मी कैंप को तैयार करने के लिये मेरठ के एसीआईसी-एमएईटी से फंडिंग मिली. इससे प्रोजेक्ट को और बेहतर बनाया जा सका है. बनाने में एक हफ्ते का समय लगा है. तकरीबन 24000 रुपये का खर्च आया है.

श्याम चौरसिया का कहना है कि मुझे मदद मिले तो मैं इस कैंप को बुलेटप्रुफ बना सकता हूँ. इसमें आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकता है. एमआईईटी के वाइस चेयरमैन पुनीत अग्रवाल ने बताया कि कॉलेज के अटल कम्युनिटी इनोवेशन सेंटर में आईडिया इनोवेशन रिसर्च लैब है. इनोवेटर के साथ मिल कर छात्रों द्वारा काम किया जा रहा है. समस्याओं को अपने नये-नये अविष्कार व नवाचार के जरिये हल कर रहे हैं. श्याम का प्रोजेक्ट स्मार्ट आर्मी कैंप देश के जवानों की सुरक्षा के लिये अच्छा प्रयास साबित होगा. श्याम द्वारा बनाये गये प्रोजेक्ट के सहयोग व मार्गदर्शन लिये प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री को पत्र लिखा गया है.

HIGHLIGHTS

  • कैंप के अंदर छोटे-छोटे हीटर प्लेट्स
  • कैंप को गर्म रखने में करेंगे मदद
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