सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पूर्वी लद्दाख के संपूर्ण हालात और क्षेत्र में भारतीय सेना की तैयारियों की जानकारी दी जहां भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध की स्थिति बनी हुई है. आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी. सेना प्रमुख हालात का जायजा लेने के लिए 23 जून से दो दिन तक लद्दाख दौरे पर थे. सेना के एक सूत्र ने कहा, ‘सेना प्रमुख ने रक्षा मंत्री को पूर्वी लद्दाख के हालात से अवगत कराया.’
राजनाथ सिंह 22 से 24 तक तीन दिन की रूस यात्रा पर थे. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने बृहस्पतिवार को कहा था कि क्षेत्र में चीनी बलों का व्यवहार परस्पर सहमति वाले सभी नियमों की पूरी तरह अवहेलना वाला है. उन्होंने आगाह किया कि मौजूदा स्थिति जारी रहने से भारत और चीन के बीच संबंधों के विकास के लिए माहौल केवल बिगड़ेगा ही. भारत और चीन की सेनाओं के बीच पिछले छह सप्ताह से पूर्वी लद्दाख में अनेक जगहों पर गहन गतिरोध की स्थिति बनी हुई है.
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15 जून को गलवान घाटी में हिंसक झड़पों में 20 भारतीय सैनिकों के शहीद हो जाने के बाद तनाव और बढ़ गया. दोनों सेनाओं के वरिष्ठ सैन्य कमांडरों ने सोमवार को करीब 11 घंटे तक बातचीत की थी जिसमें वे पूर्वी लद्दाख में टकराव के सभी बिंदुओं से क्रमिक तरीके से हटने की आपसी सहमति पर पहुंचे थे. दोनों पक्षों ने बुधवार को भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय की कार्यप्रणाली की रूपरेखा के तहत राजनयिक स्तर की बातचीत की थी.
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दोनों पक्षों ने राजनयिक वार्ता में सैनिकों को पूर्वी लद्दाख से हटाने की सहमति को तेजी से लागू करने पर सहमति जताई थी जैसा कि छह जून को वरिष्ठ सैन्य कमांडरों की बैठक में निर्णय हुआ था. गलवान घाटी में झड़प के बाद सेना ने हजारों अतिरिक्त जवानों को अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड तथा सिक्किम समेत अनेक क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास अग्रिम स्थानों पर भेजा. वायु सेना ने भी अपने सुखोई 30 एमकेआई, जगुआर, मिराज 2000 विमानों और अपाचे हेलीकॉप्टर को लेह तथा श्रीनगर समेत कई प्रमुख वायुसेना केंद्रों पर तैनात कर दिया.
Source : Bhasha