थल सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे मंगलवार को संयुक्त अरब अमीरात (यूएएई) और सऊदी अरब की छह दिनों की यात्रा पर हैं. किसी भारतीय थलसेना प्रमुख की खाड़ी क्षेत्र में रणनीतिक रूप से दो महत्वपूर्ण देशों की अब तक की यह पहली यात्रा है. जनरल नरवणे की इस यात्रा से दोनों देशों के साथ भारत के बढ़ते रणनीतिक संबंध प्रदर्शित होते हैं और इससे रक्षा एवं सुरक्षा क्षेत्र में सहयोग के नये आयाम खुलने की उम्मीद है.
कई अरब देशों के साथ इजराइल के सामान्य हो रहे संबंधों और ईरान के शीर्ष परमाणु हथियार वैज्ञानिक मोहसिन फख्रीजादेह की हत्या से उपजी स्थिति सहित खाड़ी क्षेत्र में तेजी से घट रही घटनाओं के बीच जनरल नरवणे की यह यात्रा हो रही है. जनरल नरवणे का पहला गंतव्य संयुक्त अरब अमीरात होगा, जहां वह वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों से मुलाकात करेंगे और द्विपक्षीय रक्षा सहयोग प्रगाढ़ करने पर चर्चा करेंगे.
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थल सेना ने एक बयान में कहा, ‘‘थल सेना प्रमुख जनरल नरवणे संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब की नौ से 14 दिसंबर तक की यात्रा पर रवाना हुए हैं.’’ बयान में कहा गया है, ‘‘अपनी यत्रा के दौरान, वह इन देशों के अपने समकक्षों और वरिष्ठ सैन्य नेतृत्व के साथ बैठक करेंगे. यह यात्रा इस मायने में ऐतिहासिक है कि यह पहला मौका है जब कोई भारतीय थल सेना प्रमुख यूएई और सऊदी अरब की यात्रा कर रहे हैं.’’
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आधिकारिक कार्यक्रम के मुताबिक थलसेना प्रमुख 13 से 14 दिसंबर तक सऊउी अरब की यात्रा करेंगे. बयान में कहा गया है, ‘‘वह सऊदी अरब और भारत के बीच उत्कृष्ट रक्षा सहयोग को सुरक्षा प्रतिष्ठानों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कई बैठकों के माध्यम से आगे बढ़ाएंगे तथा रक्षा से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे. ’’ बयान में कहा गया है कि जनरल नरवणे रॉयल सऊदी लैंड बल के मुख्यालय और किंग अब्दुल अजीज मिलिट्री एकेडमी का भी दौरा करेंगे.
थल सेना प्रमुख के सऊदी अरब के राष्ट्रीय डिफेंस यूनिवर्सिटी का दौरा करने और संस्थान के छात्रों एवं संकाय सदस्यों को संबोधित करने का भी कार्यक्रम है. विदेश मंत्री एस जयशंकर की बहरीन और यूएई की यात्रा के कुछ दिनों बाद जनरल नरवणे की खाड़ी क्षेत्र की यह यात्रा हो रही है. पिछले कुछ वर्षों में सऊदी अरब और यूएई के साथ भारत के संबंध प्रगाढ़ हुए हैं.
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भारत और सऊदी अरब ने पिछले साल एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए रणनीतिक रूप से अहम क्षेत्रों में आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए एक रणनीतक साझेदारी परिषद की स्थापना की थी. समझा जाता है कि सऊदी अरब रक्षा उपकरणों के संयुक्त उत्पादन के लिए भारत के साथ सहयोग करने को इच्छुक है. चीन, अमेरिका और जापान के बाद सऊदी अरब , भारत का चौथा व्यापारिक साझेदार है और ऊर्जा (तेल) का एक बड़ा स्रोत है.
भारत इस देश से अपने कच्चे तेल की जरूरत का करीब 18 प्रतिशत आयात करता है. सऊदी अरब भारत के लिए एलपीजी का भी एक बड़ा स्रोत है. पिछले महीने, थलसेना प्रमुख ने नेपाल की तीन दिवसीय यात्रा की थी, जिसके महत्वपूर्ण कूटनीतिक मायने हैं. अक्टूबर में जनरल नरवणे ने विदेश सचिव हर्षवर्द्धन श्रृंगला के साथ म्यामां की यात्रा की थी.
Source : Bhasha/News Nation Bureau