आर्मी के प्रमुख जनरल एमएम नरवणे (MM Naravane) ने मंगलवार को दो पड़ोसी देशों के साथ भारत के सीमा विवाद के मद्देनजर सशस्त्र बलों के क्षमता विकास को राष्ट्रीय अनिवार्यता करार देते हुए कहा कि आधुनिक दुनिया के चरित्र में विध्वंसकारी प्रौद्योगिकियां तेजी से बदलाव रही हैं. उन्होंने गांधीनगर स्थित राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (RRU) और भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग और भू-सूचना विज्ञान संस्थान (बिसाग-एन) के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के अवसर पर कहा कि आधुनिक युद्ध की चुनौतियों का सामना करने को शैक्षणिक ताकत को परिचालन समझ के साथ समृद्ध करने की आवश्यकता है.
जनरल नरवणे ने कार्यक्रम गांधीनगर के RRU परिसर में हुए कार्यक्रम में कहा कि विध्वंसकारी प्रौद्योगिकियां आधुनिक दुनिया के चरित्र को पहले से कहीं ज्यादा तेजी से बदल रही हैं. दुनिया भर में हमने हालिया संघर्षों में इन प्रौद्योगिकियों के निर्णायक प्रभाव को देखा है.
सेना प्रमुख ने आगे कहा कि हमारे दो पड़ोसियों के साथ उत्तर और पूर्व में हमारी सक्रिय और विवादित सीमाओं को देखते हुए सशस्त्र बलों की क्षमता का विकास एक राष्ट्रीय अनिवार्यता है. उन्होंने कहा कि अन्य देशों के साथ विशिष्ट प्रौद्योगिकियों पर निर्भरता 'विशेष रूप से संघर्ष के समय में महत्वपूर्ण कमजोरियां' पैदा करती हैं और बिसाग-एन के साथ भारतीय सेना का सहयोग इन चुनौतियों का समाधान अंदरुनी तरीके से करने की दिशा में एक लंबा रास्ता तय करेगा.
थल सेना चीफ ने कहा कि दोनों (नागरिक और सैन्य) के बीच सहयोग विकासशील प्रौद्योगिकी, जीआईएस और आईटी आधारित सॉफ्टवेयर प्रणाली के विकास, प्रशिक्षण सामग्री और ऑडियो-विजुअल सामग्री के प्रसारण के क्षेत्र में हैं. उन्होंने कहा कि बिसाग-एन और आरआरयू के साथ भारतीय सेना का सहयोग सरकार के 'आत्मनिर्भर भारत' के दृष्टिकोण से जुड़ा है और रक्षा क्षमता विकास में 'नागरिक-सैन्य सहयोग' का मार्ग प्रशस्त करेगा.
Source : News Nation Bureau