भारतीय सेना ने असम राइफल्स के जवानों के साथ मिलकर शुक्रवार देर रात असम में तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) के अगवा किए गए दो कर्मचारियों को प्रतिबंधित समूह, यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असोम-इंडिपेंडेंट (यूएलएफए-आई ) से बचाया है. भारतीय सेना ने कहा, "ऑपरेशन अभी भी जारी है." प्रतिबंधित समूह यूएलएफए-आई के पास अभी भी एक ओएनजीसी कर्मचारी है. ओएनजीसी के तीन कर्मचारियों को 21 अप्रैल को असम-नागालैंड सीमा के पास असम के शिवसागर जिले में लकवा तेल क्षेत्र से संदिग्ध यूएलएफए-आई उग्रवादियों द्वारा अपहरण कर लिया गया था.
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कर्मचारियों को शिवसागर में सरकारी कंपनी के लकवा मैदान से एक कंपनी के स्वामित्व वाले वाहन में अपहरण किया गया था, जहां अन्वेषण कंपनी लगभग छह दशकों से काम कर रही है. अगवा किए गए तीन कर्मचारियों में मोहिनी मोहन गोगोई (35), रितुल सैकिया (33), दोनों जूनियर टेक्नीशियन (प्रोडक्शन) और अलकेश सैकिया (28), एक जूनियर इंजीनियरिंग असिस्टेंट (प्रोडक्शन) शामिल हैं. बचाए गए दो कर्मचारी अलकेश सैकिया और मोहिनी मोहन गोगोई हैं. भारतीय सेना ने कहा, "एक एके 47 भी बरामद किया गया है." अपहरण की घटना के बाद, असम सरकार ने जिला पुलिस अधिकारियों को पूर्वी असम में ओआईएल और ओएनजीसी इन्फ्रास्ट्रक्चर पर सुरक्षा व्यवस्था तेज करने के लिए कहा था.
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इससे पहले असम पुलिस द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार, पुष्ट सूचना है कि अपहरण उल्फा (आई) ने संगठन के स्वयं-भू मेजर गणेश लाहौन, पूरम लाहौन और उसके साथियों आद्यामाल असोम, मनीराम बोरगोहैण और प्रदीप गोगोई के कहने पर किया है. पुलिस ने कहा कि कर्मचारियों को कोई नुकसान पहुंचे बगैर उन्हें सुरक्षित लाने का प्रयास किया जा रहा है. गिरफ्तार किए गए 14 लोगों ने कथित रूप से प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से उल्फा (आई) की मदद की है. बुधवार को हुए अपहरण के बाद से बचाव अभियान की समीक्षा के लिए शिवसागर में मौजूद असम पुलिस के विशेष महानिदेशक जी. पी. सिंह ने बताया कि ओएनजीसी के तीन कर्मचारियों को ले जाने के लिए एम्बुलेंस का उपयोग किया गया था. सिंह ने ट्वीट किया, ‘ओएनजीसी के कर्मचारियों का अपहरण करने के लिए एम्बुलेंस का उपयोग विशेष रूप से महामारी के दौर में, बेहद निंदनीय है.’ उन्होंने कहा कि उल्फा के ऐसे ‘अमानवीय कृत्य’ के बावजूद ‘हम पुलिस या सुरक्षा बलों को सामान्य तौर पर एम्बुलेंस की जांच करने का निर्देश नहीं दे रहे हैं.’ सिंह ने नागरिक समाज से अनुरोध किया कि ‘‘वे उल्फा के इस अमानवीय कृत्य के खिलाफ आवाज उठाने पर विचार करें.’