सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे ने रिपब्लिक टीवी के प्रमुख अर्नब गोस्वामी द्वारा महाराष्ट्र विधानसभा में जारी विशेषाधिकार नोटिस के उल्लंघन के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि उनके पिता और नानी पालकीवाला को भी महाराष्ट्र विधानसभा ने ऐसा ही नोटिस भेजा था. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता शीर्ष अदालत के समक्ष पेश हुए और पीठ को सूचित किया कि वह केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. पिछले महीने शीर्ष अदालत ने बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के मामले में सरकार की कथित निष्क्रियता की आलोचना के लिए महाराष्ट्र विधानसभा द्वारा उन्हें 16 सितंबर के शो कारण के लिए भेजे गए शोकेस नोटिस पर गोस्वामी की एक याचिका पर नोटिस जारी किया था.
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, लेकिन केंद्र इस मामले में पक्षकार नहीं है. महाराष्ट्र राज्य की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए और उन्होंने अदालत को सूचित किया कि वर्तमान याचिका में उनकी कोई भूमिका नहीं है. इसके बाद प्रधान न्यायाधीश बोबडे ने यह जानना चाहा कि जब विशेषाधिकार समिति किसी व्यक्ति को नोटिस जारी करती है कि क्यों न उसके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए, तो क्या प्रक्रिया अपनाई जाती है? बोबडे ने कहा कि जब सदन में एक सदस्य किसी अन्य सदस्य के खिलाफ बयान देता है, तो स्पीकर उस पर ध्यान देता है और उसे विशेषाधिकार समिति को भेज देता है. उन्होंने कहा, "मेरे दिवंगत पिता और श्री नानी पालकीवाला को महाराष्ट्र विधानसभा ने ऐसा नोटिस भेजा था."इस मामले में प्रधान न्यायाधीश बोबडे के साथ ही न्यायाधीश ए.एस. बोपन्ना और वी. रामासुब्रमण्यन की पीठ सुनवाई कर रही है.
Source : IANS