वित्त मंत्री अरूण जेटली ने देश के मध्य वर्ग को बड़ी राहत देते हुए इनकम टैक्स में बड़ी छूट दी है। सरकार ने 2.5-5 लाख रुपये की आय पर लगने वाले इनकम टैक्स को 10 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया है। उम्मीद के मुताबिक ही सरकार ने शहरी मध्य वर्ग को इनकम टैक्स छूट की सौगात दी है।
और पढ़ें:बजट के बाद पीएम मोदी ने कहा, इससे अर्थतंत्र को मजबूती मिलेगी
वित्त मंत्री ने टैक्स छूट के लिए न्यूनतम आय की सीमा को 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपय कर दिया है। इससे अब 3 लाख रुपये की वार्षिक आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। जेटली ने कहा कि देश में सिर्फ 24 लाख लोग साल भर में 10 लाख रुपये से अधिक आय की की घोषणा करते हैं। 99 लाख लोगों ने अपनी वार्षिक आय को 2.5 लाख रुपये से कम घोषित किया है।
5 लाख रुपये तक की आमदनी वालों का इनकम टैक्स आधा कर दिया गया है। अब 2.5 लाख से 5 लाख रुपये तक की कमाई पर 10 फीसदी की बजाए 5 फीसदी टैक्स भरना होगा। सरकार की इस घोषणा से 5 लाख रुपये की सालाना आय वाले को वार्षिक करीब साढ़े बारह हजार रुपये की बचत होगी।
वहीं अमीरों पर टैक्स लगाते हुए सरकार ने 50 लाख से 1 करोड़ रुपये तक तक की आए करने वाले पर एक फीसदी सरचार्ज लगाने का एलान किया गया है। इसके अलावा एक करोड़ रुपये से अधिक की कमाई वालों को अतिरिक्त 15 फीसदी का सरचार्ज देना होगा।
एसबीआई की रिपोर्ट में भी इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव किए जाने का संकेत दिया गया था। माना जा रहा था कि सरकार निजी आयकर टैक्स छूट की सीमा को मौजूदा 2.5 लाख रुपये के स्तर से बढ़ाकर 3-3.5 लाख रुपये कर सकती है।
जेटली ने आम बजट 2017-18 पेश करते हुए कहा कि कराधान का वर्तमान बोझ मुख्यत: ईमानदार करदाताओं और वेतनभोगी कर्मचारियों पर है, जो अपनी आय को सही रूप में दर्शाते हैं। इसलिए नोटबंदी के बाद इस वर्ग के लोगों की यह उम्मीद जायज है कि उन पर से कर का बोझ कम किया जाएगा।
मंत्री ने यह भी कहा कि यदि निम्न आय स्लैब के लिए टैक्स की दर को सामान्य रखा जाता है, तो बड़ी संख्या में लोग कर दायरे में आएंगे। उन्होंने भारत के सभी नागरिकों से यह अपील की कि यदि उनकी आय 2.5 लाख रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक के सबसे निचले स्लैब के अंतर्गत आती है तो वे 5 प्रतिशत कर की छोटी सी अदायगी करते हुए राष्ट्र निर्माण में भागीदार बनें।
अरुण जेटली ने कहा कि सरकार कर के दायरे में ऐसे लोगों को भी लाने का प्रयास कर रही है, जो करों की चोरी कर रहे हैं। इसलिए कर दायरे को बढ़ाने के लिए व्यावसायिक आय से इतर 5 लाख रुपये तक की कर योग्य आय वाले करदाताओं के लिए आयकर रिटर्न के रूप में भरे जाने के लिए सिर्फ एक पृष्ठ का फॉर्म पेश करने का निर्णय लिया गया है।
और पढ़ें: खेती-किसानी पर सौगातों की बरसात, मनरेगा को रिकॉर्ड 48 हजार करोड़ रुपये का आवंटन
Source : News Nation Bureau