केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को दावा किया कि मोदी सरकार के कार्यकाल में पिछले 25 सालों में भारत ने सबसे ज्यादा विकास किया है और इस दौरान मंहगाई न्यूनतम रही है. जेटली ने उदारीकरण होने के सालों से लेकर मौजूदा वित्त वर्ष की 5 सालों के औसत को ग्राफ के जरिये दिखाया, जिसमें वित्त वर्ष 2014-15 से 2018-19 तक जीडीपी दर 7.3 फीसदी और महंगाई दर 4.6 फीसदी दिखाया है.
अरुण जेटली ने मंगलवार को अपने फेसबुक पेज पर एक ब्लॉग पोस्ट डालते हुए लिखा कि आजादी के बाद भारत के आर्थिक अध्ययन को 1991 के कट-ऑफ लाइन के साथ दो भागों में बांटा जा सकता है. नियंत्रित अर्थव्यवस्था ने 40 सालों के लिए भारत के विकास को रोककर रखा.
उन्होंने विकास ग्राफ को लेकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 5 सालों में 7.3 फीसदी का विकास दर पूर्व की सरकारों से काफी ज्यादा है. जेटली ने कहा, 'जब प्रधानमंत्री मोदी सत्ता में आए थे तो भारत जीडीपी के मामले में दुनिया 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी. मौजूदा वक्त में 5वें, 6ठे और 7वें स्थान की अर्थव्यवस्था यूनाईटेड किंगडम, फ्रांस और भारत के बीच काफी कम अंतर है.'
उन्होंने कहा, 'भारत अगले साल 7.5 फीसदी के साथ विकास करने वाला है. इसके साथ ही अगले वित्त वर्ष में भारत विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है.'
जेटली ने कहा कि यह संकेत है कि आने वाले दशकों में भारतीयों की सामाजिक प्रोफाइल, क्रय-शक्ति और जीवन की गुणवत्ता में किस तरह का सुधार होने जा रहा है. उन्होंने कहा, 'यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह अनुमान के मुताबिक हो, देश में निर्णायक नेतृत्व की जरूरत है, साथ ही नीति में स्थिरता और एक मजबूत व स्थिर सरकार जरूरी है। अपरिपक्व नेतृत्व के साथ एक कामचलाऊ गठबंधन जिसका ज्यादा दिन चलना संदिग्ध है, वह कभी भी इसे हासिल नहीं कर सकता है।'
उन्होंने कहा कि 5 सालों में देश की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग 142वें से सुधर कर 77वें स्थान पर आ गई है और अब हमारा लक्ष्य इसे शीर्ष 50 में ले जाने का है. कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष के महागठबंधन पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि उनके गठबंधन के सहयोगियों की आकांक्षाओं से उनके नेतृत्व के हाथ बंधे रहेंगे.
उन्होंने कहा, 'अगर भारत को यह हासिल करना है तो भारत का प्रधानमंत्री कौन होना चाहिए? क्या उसे अपने प्रतिद्वंद्वियों की आकांक्षाओं के आगे विवश होना चाहिए जिन्होंने उसका अनिच्छा से समर्थन किया है, या क्या भारत को स्पष्ट बहुमत वाले प्रधानमंत्री की जरूरत है जैसा कि 2014 में हुआ था? केवल इस प्रकार का प्रधानमंत्री ही विकास प्रदान कर सकता है और देश की आकांक्षाओं को पूरा कर सकता है।'
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उन्होंने लिखा कि 1951-52 से 1990-91 तक भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) 4.2 फीसदी वार्षिक दर से बढ़ा. प्रति व्यक्ति आय प्रति वर्ष 2 फीसदी की दर से बढ़ी. अर्थव्यवस्था के उदारीकरण से न सिर्फ जीडीपी दर बढ़ा बल्कि लाखों लोग गरीबी से बाहर आए और बड़ी संख्या में भारतीयों के जीवन स्तर में सुधार आया.
इससे पहले हाल ही में विश्व बैंक ने वित्त वर्ष 2019-20 में भारत की आर्थिक विकास दर 7.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था और कहा था कि भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेजी से विकास करने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में अपने दर्जे को बरकरार रखेगी. बता दें कि विश्व बैंक की रिपोर्ट पिछले साल अक्टूबर में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा जारी अनुमान 7.4 फीसदी से थोड़ा अधिक है.
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विश्व बैंक द्वारा 8 जनवरी को जारी वैश्विक आर्थिक अनुमान (जीईपी) रिपोर्ट में भारत के लिए पिछले साल जून में किए गए अनुमानों को बरकरार रखा गया. विश्व बैंक ने हालांकि चेतावनी दी कि दक्षिण एशिया में आगामी चुनावों को लेकर राजनीतिक अस्थिरता बढ़ जाएगी.
Source : News Nation Bureau