बड़े-बड़े मुकदमें लड़ने वाले देश के जाने-माने वकील राम जेठमलानी धारा के खिलाफ तैरने में यकीन करते थे. महज एक पेशी के लिए दसियों लाख रुपए फीस लेने वाले राम जेठमलानी ने अपने वकालत के कैरियर में उन लोगों की पैरवी करने से भी गुरेज नहीं किया, जो अपने 'कारनामों' की वजह से आम लोगों में खलनायक की छवि अख्तियार कर चुके थे. इनमें से एक चर्चित मुकदमा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का भी था, जिनकी पैरवी राम जेठमलानी ने की थी.
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अरुण जेटली ने ठोका था मानहानि का केस
यह मामला तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली के मानहानि के केस से जुड़ा था. जेठमलानी दिल्ली के सीएम की पैरवी करने उतरे थे. हालांकि अदालत द्वारा राहत मिलती नहीं देख और अरविंद केजरीवाल के बदलते रुख को भांपकर राम जेठमलानी ने केजरीवाल को तीन करोड़ का बिल थमा दिया. इतनी महंगी फीस देखकर मामले का यह पहलू सुर्खियां भी बना. यही नहीं, अरविंद केजरीवाल ने इतनी भारी-भरकम फीस चुकाने में असमर्थता जता दी. इसके बाद राम जेठमलानी ने यह कहकर सनसनी फैला दी कि वह 'गरीब' मानकर बगैर फीस लिए ही केस लड़ेंगे.
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2017 से लिया था संन्यास
गौरतलब है कि जेठमलानी 95 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं. वह अपने दौर के सबसे चर्चित और महंगे वकीलों में शुमार हुआ करते थे. वह दिग्गज वकील होने के साथ-साथ केंद्रीय कानून मंत्री भी रह चुके थे. वह करीब दो हफ्ते से बीमार चल रहे थे. उन्होंने अपनी उम्र और सेहत को देखते हुए साल 2017 में संन्यास ले लिया था.
HIGHLIGHTS
- अरुण जेटली ने दिल्ली के सीएम पर किया था मानहानि का केस.
- इस पर अरविंद केजरीवाल की पैरवी करने उतरे थे राम जेठमलानी.
- 3 करोड़ का बिल देख 'चौंक' जाने पर फ्री में लड़ा था केस.