बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली अब हमारे बीच नहीं रहें. अरुण जेटली 66 की उम्र में एम्स में आखिरी सांस ली. अरुण जेटली को सांस में तकलीफ के चलते 9 अगस्त को एम्स में भर्ती करवाया गया था. उन्हें देखने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के अलावा बीजेपी के कई दिग्गज नेता एम्स पहुंचे थे. 28 दिसंबर 1952 में जन्मे अरुण जेटली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के शासन में कई बड़े पद पर आसीन थे.मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में अरुण जेटली वित्त मंत्री के पद पर थे.
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*अरुण जेटली के माता-पिता का नाम महाराज किशन जेटली और रतन प्रभा जेटली था. अरुण जेटली अपने पिता की तरह वकील बने. जेटली की पढ़ाई नई दिल्ली सेंट जेवियर्स स्कूल से हुई. छात्र के रूप में अपने करियर के दौरान उन्होंने अकादमिक और पाठ्यक्रम के अतिरिक्त गतिविधियों दोनों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के विभिन्न सम्मानों को प्राप्त किया. वह सीए बनना चाहते थे. पढ़ने में काफी तेज अरुण जेटली ने दिल्ली के श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से इकोनॉमिक्स में स्नातक की पढ़ाई की. इतना ही नहीं इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री भी ली है.
*आपातकाल के दौरान अरुण जेटली जेल गए और कई बीजेपी नेताओं से मिले, जिन्हें उनकी राय और वक्तृत्व कौशल पसंद था. जेल से बाहर आने के बाद अरुण जेटली जनसंघ में शामिल हो गए. अरुण जेटली एबीवीपी के दिल्ली अध्यक्ष और एबीवीपी के अखिल भारतीय सचिव बने. वह उस दौरान भी एक आदर्श राजनीतिज्ञ थे.
*प्रखर वक्ता अरुण जेटली 1991 से भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बने. 1999 में आम चुनाव से पहले वो बीजेपी के प्रवक्ता बन गए. 13 अक्टूबर 1999 को सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नियुक्त किया गया था.
*23 जुलाई 2000 को कानून, न्याय और कंपनी मामलों के केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप में राम जेठमलानी के इस्तीफे के बाद कानून, न्याय और कंपनी मामलों के मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभाला.
*नवम्बर 2000 में एक कैबिनेट मंत्री के रूप में पदोन्नत किया गया था और एक साथ कानून, न्याय और कंपनी मामलों और जहाजरानी मंत्री बनाया गया था.
*29 जनवरी 2003 को केंद्रीय मंत्रिमंडल को वाणिज्य और उद्योग और कानून और न्याय मंत्री के रूप में फिर से नियुक्त किया था.
मई 2004 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की हार के साथ, जेटली एक महासचिव के रूप में बीजेपी की सेवा करने के लिए वापस आ गए, और अपने कानूनी करियर में वापस आ गए.
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*3 जून 2009 को अरुण जेटली विपक्ष के नेता के रूप में चुने गए. अरुण जेटली 2014 तक कोई भी चुनाव नहीं लड़े. 2014 के आम चुनाव में वह लोकसभा सीट पर अमृतसर सीट के लिए बीजेपी के उम्मीदवार बने. लेकिन वो चुनाव हार गए. मार्च 2018 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए फिर से चुना गया
*26 मई 2014 को, जेटली को नवनिर्वाचित प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वित्त मंत्री के रूप में चुना गया. वित्त मंत्री के कार्यकाल के दौरान उन्होंने जीएसटी जैसे रिफॉर्म देश को दिए.
*इसके साथ ही नोटबंदी करते हुए 500 और 1000 के नोटों को बंद किए. बीमारी की वजह से अरुण जेटली मोदी सरकार में कोई भी पद लेने से मना कर दिया.