वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अमेरिका में एच-1बी वीजा नियमों को सख्त करने की ट्रंप सरकार की योजना को अमेरिकी प्रशासन के सामने उठाया। अमेरिकी वित्त मंत्री स्टीवन मैनुचिन के सामने वित्त मंत्री ने भारत की चिंता की जानकारी दी। इधर अमेरिका ने इंफोसिस और टीसी जैसी आईटी कंपनियों पर वीज़ा नियमों के उल्लंघन कका आरोप लगाया है।
वित्त मंत्री जेटली ने स्टीवन को यह भी बताया है कि भारत के प्रोफेशनल्स अमेरिकी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
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अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद डोनल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा के नियमों को कड़ा करने की बात की थी। पिछले हफ्ते ही उन्होंने नियमों को कड़ा करने के आदेश पर दस्तखत किया है। अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि सरकार एच-1बी वीजा के दुरुपयोग को रोकना चाहती है और साथ ही अमेरिकी नागरिकों को रोज़गार मिल सके इसके लिये भी वीज़ा नियमों को सख्त किया जा रहा है।
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इधर अमेरिका ने भारत की आईटी क्षेत्र की कंपनियों टीसीएस और इन्फोसिस पर एच-1बी वीजा नियमों का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया है। पिछले सप्ताह वाइट हाउस के एक अधिकारी ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि कंपनियों ने कई आवेदन भेजे ताकि लॉटरी ड्रॉ में इन्हें वीज़ा मिल सके।
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अमेरिकी अधिकारी ने कहा, 'आप इनका नाम जानते हैं, लेकिन सबसे अधिक एच-1बी वीजा पाने वाली कंपनियां टीसीएस, इन्फोसिस और कॉग्निजेंट जैसी कंपनियों को जितना वीजा नहीं मिलता, वे उससे ज्यादा आवेदन करती हैं।
जब अधिकारी से पूछा गया कि भारतीय कंपनियों का नाम क्यों लिया जा रहा है? तो उन्होंने कहा कि टीसीएस, इन्फोसिस और कॉग्निजेंट एच-1बी वीजा पाने वाली शीर्ष कंपनियां है।
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Source : News Nation Bureau