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अरुंधति राय ने NPR पर दिया विवादित बयान, बोलीं- कोई पूछे तो नाम रंगा-बिल्ला और पता पीएम का बताएं

लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति राय ने बुधवार को मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि सरकार देश में डिटेंशन सेंटर के मुद्दे पर झूठ बोल रही है.

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Deepak Pandey
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Arundhati Roy

लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति राय( Photo Credit : न्यूज स्टेट)

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लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति राय ने बुधवार को मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि सरकार देश में डिटेंशन सेंटर के मुद्दे पर झूठ बोल रही है. अरुंधति राय सीएए (CAA) के विरोध में दिल्ली यूनिवर्सिटी में जमा हुए छात्रों के साथ एकजुटता दिखाने पहुंची थीं. अरुंधति राय के साथ ही फिल्म अभिनेता जीशान अय्यूब और अर्थशास्त्री अरुण कुमार भी नॉर्थ कैंपस पहुंचे थे.

दिल्ली विवि में अरुंधति राय ने कहा कि सरकार एनआरसी और डिटेंशन कैंप के मुद्दे पर लगातार झूठ बोल रही है. पीएम नरेंद्र मोदी ने भी इस विषय पर देश के सामने गलत तथ्य पेश किए हैं. जब सरकार के खिलाफ कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्र अपनी आवाज उठाते हैं तो इन छात्रों को अर्बन नक्सल कह दिया जाता है.

अरुंधति राय ने नागरिक जनसंख्या रजिस्टर (NPR) पर विद्यार्थियों से कहा कि एनपीआर भी एनआरसी का ही हिस्सा है. जब एनपीआर के लिए सरकारी कर्मचारी जानकारी मांगने आपके घर आएं तो उन्हें अपना नाम रंगा बिल्ला-कुंगफू कुट्टला बताइए. अपने घर का पता देने के बजाये पीएम के घर का पता लिखवाएं.

इस दौरान उन्होंने बेहद तल्ख अंदाज में सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि नॉर्थ ईस्ट में जब बाढ़ आती है तो मां अपने बच्चों को बचाने से पहले अपने नागरिकता के साथ दस्तावेजों को बचाती है. क्योंकि उसे मालूम है कि अगर कागज बाढ़ में बह गए तो फिर उसका यहां भी रहना मुश्किल हो जाएगा.

जेएनयू में 30 साल तक प्रोफेसर रहे अर्थशास्त्री अरुण कुमार ने छात्र-छात्राओं से कहा कि वे सरकार से शिक्षा और रोजगार को लेकर प्रश्न पूछें. अरुण कुमार ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा चुकी है, विकास दर साढ़े 4 प्रतिशत भी नहीं बची और इसी तथ्य को छुपाने के लिए ऐसे कानून लाए जा रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि केवल संगठित क्षेत्रों में काम करने वाले छह फीसद लोग सरकार की गिनती में हैं. असंगठित क्षेत्र में रोजगार की भारी किल्लत है. घटते रोजगार से ध्यान बंटाने के लिए सरकार एनआरसी जैसे कानून का सहारा ले रही है, ताकि लोग अर्थव्यवस्था की बात छोड़कर धर्म के नाम पर एक नए विवाद में फंस जाएं.

Source : News Nation Bureau

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