Arvind Kejriwal: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आबकारी नीति मामले में जेल में है. उन्होंने आज दिल्ली उच्च न्यायालय में दलील दी कि वे प्रवर्तन निदेशालय के जासूसी का शिकार हुए हैं. उन्होंने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले में निचली अदालत से मिली जमानत को रद्द करना न्याय की विफलता के समान होगी. मुख्यमंत्री की जमानत को चुनौती देने वाली ईडी की याचिका का विरोध करते हुए केजरीवाल ने कहा कि अभियोजन की धारणाओं और काल्पनिक आधार पर जमानत आदेश को खारिज नहीं किया जा सकता है. विशेष न्यायाधीश का जमानत देने का आदेश तर्कसंगत था.
दरअसल, केजरीवाल को निचली अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत दी थी, जिसका ईडी ने विरोध किया था और जमानत को चुनौती दी थी. मामले में सीएम केजरीवाल ने आज हाईकोर्ट में जवाब दाखिल किया.
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ईडी ने रखा यह पक्ष
अदालत में केजरीवाल की ओर से पेश वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि सुनवाई के लिए विषिश्ष्ट समय निर्धारित होना चाहिए. इस पर ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू दास ने कहा कि एजेंसी को केजरीवाल के जवाब की प्रति मंगलवार रात को मिली. इसलिए उन्हें जवाब पढ़ने और अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया. दास ने कहा कि जांच अधिकारी की बजाए वकील को दस्तावेज दिया जाना चाहिए.
15 जुलाई तक के लिए टली सुनावई
राजू के तर्क पर अदालत ने कहा कि ईडी को प्रति मंगलवार को मिली तो उस पर जवाब दाखिल करने के लिए ईडी को अधिकार है. उन्हें जवाब दाखिल करने के लिए ईडी को समय दिया जाता है. अदालत ने सुनवाई अब 15 जुलाई तक के लिए टाल दी है.
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‘ईडी ने झूठी मनगढ़ंत कहानी में फंसाया’
सीएम ने अपने जवाब में तर्क किया कि उनकी गिरफ्तारी उन्हें परेशान करने के लिए थी. ईडी के पास ऐसा कोई सबूत ही नहीं है, जिसके आधार पर उन्हें कारावास में रखा जाए. ईडी ने उन्हें झूठी और मनगढ़ंत कहानी में फंसाया है. दिल्ली सीएम ने दलील दी कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का कोई मामला नहीं है. उन्होंने कहा कि ईडी के पास ऐसा कोई सबूत ही नहीं है, जिससे साबित हो सके कि पार्टी ने साउथ ग्रुप से फंड या रिश्वत ली.
Source : News Nation Bureau