नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ देशभर में हो रहे विरोध प्रदर्शन पर भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत (Bipin Rawat) ने गुरुवार को बयान दिया था. उस पर अब AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की प्रतिक्रिया सामने आई है. असदुद्दीन ओवैसी ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, ''किसी के पद की सीमाओं को जानना ही नेतृत्व है. नागरिक सर्वोच्चता के विचार को समझने तथा अपने अधीन मौजूद संस्थान की अखंडता को सुरक्षित रखने के बारे में है.'' उधर, दिग्विजय सिंह ने कहा, 'मैं जनरल साहब की बातों से सहमत हूं, लेकिन नेता वे नहीं हैं जो अपने अनुयायियों को सांप्रदायिक हिंसा के नरसंहार में लिप्त होने देते हैं. क्या आप मेरे से सहमत हैं जनरल साहेब?'
ओवैसी ने आगे कहा, लीडरशिप का मतलब ये भी होता है कि लोग अपने ऑफिस की मर्यादा न लांघें. यह नागरिक वर्चस्व के विचार को समझने और उस संस्था की अखंडता को संरक्षित करने के बारे में है, जिसका आप नेतृत्व करते हैं.
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इससे पहले आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने कहा था, 'नेता वह नहीं हैं, जो लोगों को गलत दिशा की ओर लेकर जाएं. जैसा हम आज बड़े पैमाने पर देख रहे हैं. देश के कॉलेज, यूनिवर्सिटी में छात्र-छात्राओं समेत आम लोगों को शहरों में हिंसा फैलाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. इनमें कुछ विद्यार्थी भी शामिल हैं. हकीकत में यह सही नेतृत्व नहीं है.' हालांकि जनरल रावत ने पक्ष-विपक्ष समेत किसी नेता का साफतौर पर कोई नाम नहीं लिया है.
असदुद्दीन ओवैसी ने यह भी कहा, जनरल बिपिन रावत का बयान मोदी सरकार को नजरंदाज करता है. हमारे प्रधानमंत्री अपनी वेबसाइट पर लिखते हैं कि एक छात्र के रूप में उन्होंने आपातकाल के दौरान विरोध प्रदर्शन में भाग लिया था. लेकिन आर्मी चीफ के बयान के अनुसार, वह भी गलत था.
Source : News Nation Bureau