वाराणसी (Varanasi) की फास्ट ट्रैक कोर्ट के काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Mandir) और ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े मसले में विवादित परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण (ASI) के आदेश पर रार शुरू हो गई है. एक तरफ उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने इसको हाई कोर्ट में चुनौती देने का मन बना लिया है. वहीं दूसरी तरफ एआईएमआईएम (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने भी अदालत के फैसले की वैधता पर संदेह जताते हुए तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. ओवैसी ने बाबरी मस्जिद पर आए फैसले का हवाला देते हुए आशंका जताई कि इस तरह तो एक बार फिर इतिहास दोहराया जाएगा. फास्ट ट्रैक कोर्ट के आदेश पर ओवैसी ने कई ट्वीट कर अपनी नाखुशी का इजहार किया है.
अदालती फैसले की वैधता बताई संदिग्ध
असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर कहा है कि इस आदेश की वैधता संदिग्ध है. बाबरी मसले से जुड़े फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कानून में किसी टाइटल की फाइंडिंग एएसआई द्वारा पुरातात्विक निष्कर्षों पर आधारित नहीं हो सकती है. ओवैसी ने एएसआई पर भी आरोप लगाते हुए कहा कि वो हिंदुत्व के हर प्रकार के झूठ के लिए मिडवाइफ (दाई) की तरह काम कर रही है. कोई भी इससे निष्पक्षता की उम्मीद नहीं करता है. ओवैसी ने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और मस्जिद कमेटी को इस आदेश पर तुरंत अपील करना चाहिए और इसपर सुधार करवाना चाहिए. ओवैसी ने कहा कि एएसआई सिर्फ धोखाधड़ी का पाप करेगी और इतिहास दोहराया जाएगा जैसा बाबरी मामले में हुआ था. वह बोले कि किसी भी व्यक्ति को मस्जिद की प्रकृति बदलने का कोई अधिकार नहीं है.
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पीएम नरेंद्र मोदी से की अपील
असदुद्दीन ओवैसी ने पीएम नरेंद्र मोदी से भी कहा कि उन्हें धार्मिक स्थलों के धर्मांतरण निषेध कानून 1991 (Places of Worship Act 1991) को लागू करने की आवश्यकता है. अपने ट्वीट में ओवैसी ने पीएम से कहा, 'उन्हें हस्तक्षेप करने की हिम्मत करनी चाहिए. जब हमने बाबरी के बारे में अपनी निराशा व्यक्त की, तो कई लोगों ने हमें बात बंद करने को कहा. अब तुम सब कहां हो?. यही नहीं, इस मसले पर जुड़ी एक ट्वीट में ओवैसी ने कहा, 'बाबरी मस्जिद को ध्वस्त करने का आपराधिक कृत्य करने वाले लोगों को गले लगा लिया गया है और ये लोग भारत को 1980-90 के हिंसा के समय में वापस ले जाने के लिए यहीं नहीं रुकेंगे और काल्पनिक इतिहास पर लगातार कलह करेंगे.'
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अदालत ने एएसआई से सर्वेक्षण के दिए आदेश
गौरतलब है कि वाराणसी की सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक दीवानी अदालत ने गुरुवार को काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े मामले में विवादित परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया है. अदालत ने इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को अपने खर्च पर यह सर्वेक्षण कराने का आदेश जारी किया है. मामले के याची वकील विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि इस सर्वेक्षण में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पांच विख्यात पुरातत्व वेत्ताओं को शामिल करने का आदेश दिया गया है जिनमें दो सदस्य अल्पसंख्यक समुदाय के भी होंगे. उन्होंने बताया कि 2019 में दीवानी न्यायालय में उन्होंने स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर काशी विश्वनाथ की ओर से वाद मित्र के रूप में आवेदन दिया था. उन्होंने दावा किया कि ज्ञानवापी मस्जिद विश्वेश्वर मंदिर का एक अंश है.
HIGHLIGHTS
- ओवैसी ने कहा एक बार फिर इतिहास दोहराया जाएगा
- एएसआई को झूठे हिंदुत्व की मिडवाइफ (दाई) बताया
- पीएम नरेंद्र मोदी से की हस्तक्षेप करने की मांग