निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में मृत्युदंड की सजा पाए चार में से एक दोषी अक्षय की समीक्षा याचिका (Petition Review) बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी. जस्टिस आर. भानुमति की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अक्षय की समीक्षा याचिका अन्य दोषियों की याचिकाओं के समान थी, जिन्हें शीर्ष अदालत 2018 में ही रद्द कर चुकी है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा समीक्षा याचिका खारिज किए जाने के बाद निर्भया की मां आशा देवी ने कहा है,'मैं बहुत खुश हूं.'
Asha Devi, mother of 2012 Delhi gang-rape victim, to ANI on SC rejects review petition of convict Akshay: I am very happy. (file pic) https://t.co/XI5HmYM8fU pic.twitter.com/U6K3qQXiKa
— ANI (@ANI) December 18, 2019
वहीं निर्भया के पिता ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने दोषी अक्षय की समीक्षा याचिका खारीज कर दी है. लेकिन हम अभी भी पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हैं. जब तक पटियाला हाउस कोर्ट की तरफ से डेथ वारंट जारी नहीं किया जाता है हमें संतोष नहीं मिलेगा.'
Badrinath Singh, father of 2012 Delhi gang rape victim: Supreme Court has rejected the review petition (of one of the convicts - Akshay Kumar Singh). We are still not fully satisfied. Until a death warrant is issued by Patiala House Court, we will not be content. pic.twitter.com/NsmiSx4mXW
— ANI (@ANI) December 18, 2019
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने दोनों पक्षों की जिरह को सुना और दोपहर एक बजे तक के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया था. एक बजे के बाद बेंच बैठी तो जस्टिस भानुमति (Justice Bhanumati) ने फैसला पढ़ते हुए कहा- इस मामले में उठाई गईं दलीलें पुरानी हैं. पहले फैसले के वक्त इन पर जिरह हो चुकी है. ट्रायल कोर्ट, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने सभी बातों पर विचार कर फांसी की सजा सुनाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही दोषी अक्षय ठाकुर की रिव्यू पिटीशन को खारिज कर दिया.
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सुप्रीम कोर्ट की इस बेंच में जस्टिस भानुमति, जस्टिस बोपन्ना और जस्टिस अशोक भूषण शामिल थे. इससे पहले सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने एक महत्वपूर्ण दलील देते हुए कहा था- ऐसे राक्षसों को पैदा कर ईश्वर भी शर्मसार होगा. ये कोई रियायत के अधिकारी नहीं
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, 'सजा की समीक्षा में हमें कोई आधार नहीं दिखा.' जस्टिस भानुमति ने कहा कि पीठ ने उस तर्क पर उचित विचार किया, जिसमें यायिकाकर्ताओं ने सबूत इकट्ठे करने की मांग की थी, और इसकी अनुमति नहीं दी गई.
कोर्ट ने कहा, 'इन तर्को पर पहले विचार किया जा चुका है. इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती. इन सभी पर ट्रायल कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में विचार हो चुका है.' जस्टिस भानुमति ने कहा कि कोर्ट ने समीक्षा के लिए नियत नियमों के मापदंडों के अंतर्गत मामले की समीक्षा की और वह अब मामले पर दोबारा सुनवाई नहीं कर रही है.
अन्य तीन दोषियों की याचिकाओं को खारिज करने का उल्लेख करते हुए कोर्ट ने कहा, 'उसके (दोषी) द्वारा जांच में कमियों और तर्को को पहले खारिज किया जा चुका है.' अक्षय के वकील ने कोर्ट में कहा कि उनका मुवक्किल राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करना चाहता है. उन्होंने इसके लिए तीन सप्ताह का समय मांगा.
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केंद्र सरकार के वकील ने इसका विरोध करते हुए कहा कि इसके लिए नियत समय सिर्फ एक सप्ताह है. शीर्ष अदालत ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका के लिए समयसीमा पर आदेश देने से इंकार कर दिया. कोर्ट ने कहा, 'इस संबंध में हम अपने विचार नहीं बता रहे हैं, और दोषी कानून के अनुसार दिए गए समय के भीतर दया याचिका दायर कर सकते हैं.'
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो