असम (Assam) के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने यूनीफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) का समर्थन करते हुए कहा कि हर कोई यूसीसी चाहता है. कोई भी मुस्लिम महिला नहीं चाहेगी कि उसका पति तीन अन्य पत्नियों को घर लाए. किसी भी मुस्लिम महिला से पूछो तो उसका यही जवाब होगा. उन्होंने कहा कि यूसीसी उनका मुद्दा नहीं है, यह सभी मुस्लिम महिलाओं के लिए है. अगर उन्हें इंसाफ देना है तो तीन तलाक को खत्म करने के बाद अब यूनीफॉर्म सिविल कोड भी लाया जाए. असम में स्वदेशी मुसलमानों और प्रवासी मुसलमानों के बीच अंतर को बताते हुए सीएम ने कहा कि स्वदेशी मुसलमान प्रवासी मुसलमानों के साथ मेलजोल नहीं चाहते हैं. उन्होंने कहा कि दोनों धर्म भले ही एक है, लेकिन इनका रहन-सहन, संस्कृति और मूल अलग है.
ये भी पढ़ें: क्या देश में कोरोना की चौथी लहर की है आहट? तीन हजार के पार पहुंचे मामले
सरमा के अनुसार, जो मुसलमान असम में दो साल से भी ज्यादा समय से हैं, वे अपने लिए अलग पहचान चाहते हैं. असम सरकार इस पर जल्द फैसला करेगी. उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर गठित उप समिति ने अपनी रिपोर्ट दे दी है. मगर सब कमेटी की रिपार्ट पर सरकार ने अभी फैसला नहीं लिया है. भविष्य में निर्णय होगा कि कौन स्वदेशी मुस्लिम है और कौन प्रवासी मुस्लिम. असम में इसका कोई विरोध नहीं है. वे अंतर जानते हैं, इसे आधिकारिक रूप देना होगा.
असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा से जब राज्य की सीमा के मुद्दे के साथ उनकी पिछली बैठक के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि दिल्ली में बैठक पहले हो चुकी है. अब जिला कमेटी बनानी है. यह अगले दो माह में मैदान में उतरेगी और फिर हम इस मुद्दे को गांव-गांव में हल करना शुरू कर देंगे.
HIGHLIGHTS
- तीन तलाक को खत्म करने के बाद अब यूनीफॉर्म सिविल कोड भी लाया जाए
- कहा, भविष्य में निर्णय होगा कि कौन स्वदेशी मुस्लिम है और कौन प्रवासी मुस्लिम