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असम बाढ़: तबाही के मंजर के बाद अब भूख, लाचारी और पलायन की शुरुआत, हालात बद से बदतर

Assam Flood: असम में बाढ़ से हर तरफ तबाही का मंजर है. गांव-गांव शहर-शहर सब इलाके पानी में डूबे हुए हैं. इसकी मार वहां रहने वाले लोगों पर पड़ रही है. वे अपने-अपने आशियाने को छोड़कर राहत शिवरों में रहने को मजबूर हैं.

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Ajay Bhartia
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Assam Flood

बाढ़ से असम में कोहराम( Photo Credit : X/@official_dgar)

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Assam Flood: असम में बाढ़ से हर तरफ तबाही का मंजर है. गांव-गांव शहर-शहर सब इलाके पानी में डूबे हुए हैं. इसकी मार वहां रहने वाले लोगों पर पड़ रही है. वे अपने-अपने आशियाने को छोड़कर राहत शिवरों में रहने को मजबूर हैं. बाढ़ ने लोगों का घर तो छीना ही, उनके पेट पर भी लात मार दी. अब लोगों के सामने भूख, लाचारी और पलायन की वजह से पनपी परिस्थितियों से भी दो-चार होना पड़ रहा है. सरकार की ओर से उनके लिए जो भी इंतजाम के लिए जा रहे हैं, वो नाकाफी साबित हो रहे है. ऐसे में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. 

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काफी नहीं राहत शिविरों की संख्या

बाढ़ प्रभावित इलाकों के लिए असम सरकार ने 577 राहत शिविर बनाए हैं, लेकिन प्रदेश में जैसे हालात हैं, उनको देखते हुए ये राहत काफी नहीं है. कई इलाकों में और राहत शिविर बनाए जाने की जरूरत है. जहां लोग सड़कों पर रहने को मजबूर हैं, उनको वहीं रिलीफ कैंप्स बनाकर दिए जाए हैं. हालांकि सरकार, राहत बचाव एजेंसियां, स्वयंसेवी संगठन लोगों की मदद की हर मुमकीन कोशिश कर रहे हैं. इस बीच एक शख्स का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो है, जिसमें वो बाढ़ की तबाही की मार के कारण बुरी तरह से रोते हुए दिखता है. 

यहां देखें वीडियो 

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एक हॉल में 50 लोग रहने को मजबूर

सरकार द्वारा बनाए गए रिलीफ कैंप्स में किस तरह के हालात हैं. उनके बारे में काजीरंगा में बनाए गए राहत शिविरों की स्थिति से अंदाजा लगाया जा सकता है. आस-पास के बाढ़ प्रभावित गांवों से लाए गए लोगों को यहां रखा गया है. एक हॉल में 30 से 50 लोगों को रूकना पड़ रहा है. ऐसा ही अन्य राहत शिविरों का हाल है. कांजीरंगा के अलावा नोगांव के रिलीफ कैंप्स में लोग इस तरह से रूके हुए हैं. इनमें लोगों की संख्या इतनी है कि उनके बीच पैर रखने तक की जगह नहीं है. बाढ़ की मार लोग ही नहीं जानवर भी झेल रहे हैं. 

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शिविरों में खाने-पीने की चीजों की कमी

राहत शिविरों में रह रहे लोगों के सामने कम मुसीबतें नहीं हैं. उनको खाने और पीने की चीजों की कमी से सामना करना पड़ रहा है. भीगे चावल और एक कूकर से कई लोगों का खाना बनाया जा रहा है. जो भी अनाज उपलब्ध हो पा रहा है, वो लोगों के लिए नाकाफी साबित हो रहा है. वहीं लोगों के सामने सबसे ज्यादा दिक्कतें उनके छोटे-छोटे बच्चों को लेकर है. वो भूख से बिलख-बिलख कर रो रहे हैं वहीं उनके माता-पिता से अपने बच्चों का ये दर्द देखा नहीं जा रहा है. राहत शिविर के लोगों का कहना है कि पानी कम जरूर हुआ है, लेकिन मुसीबत कम नही हुई. 

सोशल मीडिया पर एक दिल को छू लेने वाला वीडियो सामने आया है, जिसमें बाढ़ के पानी में आधा डूबा हुआ एक व्यक्ति एक बछड़े को बचाने की कोशिश कर रहा है.

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यहां देखें वीडियो

अबतक 62 से ज्यादा लोगों की हो चुकी है मौत

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असम में बाढ़ की स्थिति ने पूर्वोत्तर राज्य में कहर बरपाया हुआ है. अबतक 62 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. करीब 24 लाख लोग इस प्राकृतिक आपदा से प्रभावित हुए हैं. उनको अपना घर छोड़कर दूसरे इलाकों में पलायन करना पड़ रहा है. वहीं बाढ़ से पूरे प्रदेश में करोड़ों रुपये का नुकसान हो चुका है. खेत-खलियान, लोगों के घर, सड़कें और पुल सब के सब तबाह हो गए हैं. राज्य में लोगों का जन जीवन बुरी तरह से अस्त व्यस्त हो गया है.

खबरे के निशान से ऊपर बह रहीं नदियां

असम में इस बार भी बाढ़ ने हालात बदतर बना दिए हैं. बाढ़ से मवेशी भी प्रभावित हुए हैं, जबकि फसलों को भी नुकसान पहुंचा है. राज्य भर में ब्रह्मपुत्र समेत कई प्रमुख नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. जोरहाट से धुबरी तक ब्रह्मपुत्र समेत प्रमुख नदियां कई स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. बुरहीदेहिंग, दिखोउ, दिसांग, धनसिरी, जिया भराली, कोपिली, बराक और संकोष नदियां भी विभिन्न स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं.

Source : News Nation Bureau

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