असम में एनआरसी (Nation Citizen Register) की फाइनल लिस्ट जारी हो चुकी है. 19 लाख से अधिक लोगों के नाम इस सूची से बाहर हो गए हैं. इस बीच असम के वित्त मंत्री ने शनिवार को कहा, राष्ट्रीय नागिरक रजिस्टर (NRC) की फाइनल लिस्ट में कई लोगों के नाम शामिल नहीं हैं, जो सन् 1971 से पहले बांग्लादेश से भारत आए थे. उन्होंने ट्वीट कर आरोप लगाया कि एनआरसी के डेटा के साथ छेड़छाड़ की गई है.
यह भी पढ़ेंःकश्मीरी युवाओं ने पाकिस्तान को दिखाया आईना, सेना में शामिल हुए 575 युवा, कहा-वतन के लिए मर मिटने को तैयार
वित्त मंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने अपने ट्वीट में लिखा है कि एनआरसी में कई ऐसे भारतीय नागरिकों के नाम शामिल नहीं किए गए हैं जो 1971 से पहले शरणार्थियों के रूप में बांग्लादेश से आए थे, क्योंकि अधिकारियों ने शरणार्थी प्रमाण पत्र लेने से मना कर दिया है.
उन्होंने अपने दूसरे ट्वीट में लिखा, राज्य और केंद्र सरकारों के पहले किए अनुरोध के अनुसार सुप्रीम कोर्ट को सीमावर्ती जिलों में कम से कम 20 प्रतिशत और बाकी असम में 10 प्रतिशत फिर से वेरिफिकेशन की अनुमति देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मैं दोहराता हूं कि केंद्र और राज्य सरकारों के अनुरोध पर सुप्रीम कोर्ट को सटीक और निष्पक्ष एनआरसी के लिए (सीमावर्ती जिलों में) कम से कम 20 प्रतिशत और (शेष जिलों में) 10 प्रतिशत फिर से वेरिफिकेशन की अनुमति देनी चाहिए.
यह भी पढ़ेंःपोलार्ड ने बांधे हार्दिक पांड्या की तारीफों के पुल, बताया भारतीय टीम का रॉकस्टार
दोनों सरकारों ने खासकर बांग्लादेश की सीमा से लगे जिलों में एनआरसी में गलत तरीके से शामिल नाम और बाहर किए गए नाम का पता लगाने के लिए नमूनों के फिर से वेरिफिकेशन को लेकर न्यायालय से दो बार अपील की थी. न्यायालय ने इस महीने की शुरुआत में कड़े शब्दों में कहा था कि निश्चित पैमानों के आधार पर एनआरसी की पूरी प्रक्रिया फिर से शुरू नहीं की जा सकती है.
बता दें कि असम में एनआरसी की आखिरी लिस्ट शनिवार को ऑनलाइन जारी कर दी गई. एनआरसी में शामिल होने के लिए 3,30,27,661 लोगों ने आवेदन दिया था. इनमें से 3,11,21,004 लोगों को शामिल किया गया है, जबकि 19,06,657 लोगों को बाहर कर दिया गया है.