देश के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने रविवार को कहा कि असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) 'भविष्य के लिए मूल दस्तावेज है' और 'शांतिपूर्ण सह अस्तित्व के लिए एक जरूरी पहल है.' उन्होंने आगे कहा कि असम एनआरसी सिर्फ आज के समय का दस्तावेज नहीं है. उन्होंने कहा कि यह भविष्य के दावों को निर्धारित करने में मददगार होगा. प्रधान न्यायाधीश, मृणाल तालुकदार की किताब 'पोस्ट कॉलोनियल असम' के विमोचन पर बोल रहे थे.
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न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने कहा, "उन्नीस लाख या 40 लाख कोई मुद्दा नहीं है, बल्कि यह भविष्य के लिए आधार दस्तावेज है. भविष्य के दावों को निर्धारित करने के लिए इस दस्तावेज का जिक्र कर सकते हैं. मेरी राय में एनआरसी का वास्तविक महत्व आपसी शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व में है." उन्होंने आगे कहा कि एनआरसी पर राष्ट्रीय संवाद के दौरान टिप्पणीकारों ने एक विकृत तस्वीर पेश की है.
उन्होंने एनआरसी पर आक्षेप लगाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वालों की निंदा की. उन्होंने कहा, "सोशल मीडिया और इसके टूल का इस्तेमाल बहुत से टिप्पणीकारों द्वारा इस मुद्दे पर दोहरी बात करने के लिए किया गया है. उन्होंने एक लोकतांत्रिक संस्थान पर दुर्भावना से प्रेरित होकर आक्षेप लगाना शुरू किया है."
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बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सदस्य जयराम रमेश की अगुआई में कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) पर जनता तथा पार्टी नेताओं की राय जानने के लिए रविवार को पूर्वोत्तर के चार राज्यों के दौरे पर पहुंचा है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गोपाल राय ने यहां कहा कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) का पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल रविवार को मणिपुर की राजधानी इंफाल पहुंचा और वे असम, मेघालय और त्रिपुरा जाएंगे.
उन्होंने कहा, "इस दौरे पर एआईसीसी प्रतिनिधि जनता, पार्टी नेताओं और संबंधित लोगों के एनआरसी पर विचार जानेंगे. पूर्वोत्तर का दौरा करने के बाद प्रतिनिधिमंडल इसकी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंपेगा." प्रतिनिधिमंडल में अन्य नेताओं में पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, सांसद और कांग्रेस सचिव मनिकम टैगोर, वरिष्ठ अधिवक्ता मोहम्मद अली खान और कांग्रेस महासचिव और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुकुल वासनिक शामिल हैं.
एक अन्य कांग्रेस नेता ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर आईएएनएस से कहा कि कांग्रेस के अलग-अलग नेताओं और अलग-अलग राज्यों ने एनआरसी पर भिन्न-भिन्न प्रतिक्रियाएं दीं, जिसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष को जनता की प्रतिक्रिया जानने के लिए पूर्वोत्तर में प्रतिनिधिमंडल भेजना पड़ा. कांग्रेस नेताओं के एक धड़े द्वारा एनआरसी का विरोध करने पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने दावा किया है कि कांग्रेस अवैध, खासकर बांग्लादेशी प्रवासियों के प्रति नरम है.