उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी के अलावा उनके मंत्रियों की भी साख दांव पर थी। क्योंकि मोदी कैबिनेट में कुल 15 मंत्री सिर्फ यूपी से हैं। गाजीपुर में केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा की इज्जत और साख दोनों दांव पर लगी थी जिसमे वे अव्वल नंबर से पास हुए हैं। गाजीपुर की सात विधानसभा सीटों में से बीजेपी और उसकी सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने पांच सीटों पर जीत दर्ज की है।
सियासत के गलियारों में नतीजों के पहले ही जीत और सीएम के चेहरे को लेकर चर्चा शुरू हो गई थी। बीजेपी समर्थकों के बीच सीएम के नाम को लेकर सुगबुगाहट तेज़ हो गई है। सोशल मीडिया पर बीजेपी की तरफ से गाजीपुर के मनोज सिन्हा को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है।
रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा पीएम मोदी के करीबी हैं। अमित शाह ने पूर्वांचल में चुनाव की जिम्मेदारी मनोज सिन्हा को ही सौंपी थी। खासतौर से गाजीपुर, मऊ, बलिया, मिर्जापुर,जौनपुर के अलावा सोनभद्र जिले की पूरी कमाम मनोज सिन्हा के हाथ में ही थी। टिकट वितरण में भी इन जिलों में मनोज सिन्हा की खूब चली।
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मोदी अपने मंच से भी कई बार मनोज सिन्हा की तारीफ कर चुके हैं। हालांकि मनोज सिन्हा सीएम की रेस से खुद को सअलग बताते रहे हैं। आईआईटी बीएचयू से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक और एमटेक की डिग्री हासिल करने वाले मनोज सिन्हा ने इस परिणाम के ज़रिए ये बता दिया है कि वो एक बेहतर रणनीतिज्ञ भी हैं।
साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का भरोसा भी जीता है। वो एक मजबूत पार्टी कार्यकर्ता हैं जो हमेशा लो-प्रोफाइल में रहना पसंद करते हैं।
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पूर्वी यूपी में मनोज सिन्हा खासे चर्चित नेता हैं। हालांकि सोशल इंजीनियरिंग फॉर्मूली में वो फिट नहीं बैठते क्योंकि वो भूमिहार जाति से ताल्लुक रखते हैं। पूर्वी यूपी में भूमिहारों की संख्या सीमित है ऐसे में मोदी उन्हें ये ज़िम्मेदारी सौपेगें संदेह होता है। हालांकि ये छवि उनके लिए रास्ता आसान भी बना सकती है क्योंकि अगर वो मुख्यमंत्री पद का जिम्मा संभालते हैं तो उनकी छवि जाति को लेकर पक्षपात नहीं करने वाले नेता की होगी।
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Source : Deepak Singh Svaroci