CM Of Odisha: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने ओडिशा के नए मुख्यमंत्री की नियुक्ति के लिए केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और भूपेंद्र यादव को केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया है. इस निर्णय की घोषणा भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने की. राजनाथ सिंह और भूपेंद्र यादव ने रविवार, 9 मई 2024 को राष्ट्रपति भवन में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली थी. इससे पहले, भाजपा प्रवक्ता और शपथ ग्रहण समारोह प्रभारी दिलीप मोहंती ने बताया था कि ओडिशा के नए मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह 12 जून को होगा. इस महत्वपूर्ण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे.
यह भी पढ़ें: मोदी कैबिनेट की आज हो सकती है पहली बैठक, Modi 3.0 में 72 मंत्री, 33 नए चेहरे
वीके पांडियन ने राजनीति से लिया संन्यास
इस बीच, एक बड़ी खबर सामने आई है कि बीजू जनता दल (बीजेडी) के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के करीबी सहयोगी वीके पांडियन ने राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की है. ओडिशा विधानसभा और लोकसभा चुनावों में पार्टी की हार के बाद, पांडियन ने रविवार को सक्रिय राजनीति से हटने का फैसला किया. पांडियन 2000 बैच के आईएएस अधिकारी थे और उन्होंने दो दशकों से अधिक समय तक नवीन पटनायक के निजी सचिव के रूप में कार्य किया था. 2023 में उन्होंने सरकारी सेवा से इस्तीफा देकर बीजेडी में ( बीजू जनता दल ) शामिल हो गए थे.
नवीन पटनायक का 24 साल का शासन समाप्त
आपको बता दें कि ओडिशा विधानसभा चुनावों में भाजपा ने बीजू जनता दल को कड़ी टक्कर दी और लंबे समय से सत्ता में बनी रही बीजेडी को हार का सामना करना पड़ा. मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का 24 साल का शासन समाप्त हो गया. ओडिशा की 147 विधानसभा सीटों में से भाजपा ने 78 सीटों पर विजय हासिल की, जबकि बीजेडी को 51 सीटें मिलीं, जो कि बहुमत के आंकड़े से काफी पीछे थी. कांग्रेस ने 14 सीटें जीतीं. इसके अलावा, लोकसभा चुनावों में भाजपा ने ओडिशा में 21 में से 20 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि एक सीट कांग्रेस के खाते में गई.
भाजपा की रणनीति और भविष्य की दिशा
भाजपा ने ओडिशा में जीत हासिल करने के लिए व्यापक रणनीति अपनाई थी, जिसमें केंद्रीय नेताओं की सक्रिय भागीदारी, राज्यस्तरीय नेताओं के साथ समन्वय और चुनाव प्रचार में उच्च स्तरीय रणनीतियां शामिल थीं. राजनाथ सिंह और भूपेंद्र यादव को केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त करना इसी रणनीति का हिस्सा था, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि ओडिशा में नेतृत्व का बदलाव सुचारू और प्रभावी ढंग से हो. भाजपा की इस जीत को उसके व्यापक संगठनात्मक क्षमता और मजबूत नेतृत्व का परिणाम माना जा रहा है.
वीके पांडियन का योगदान
वीके पांडियन का राजनीति से संन्यास लेना बीजेडी के लिए एक बड़ा झटका है. पांडियन ने नवीन पटनायक के साथ मिलकर राज्य में कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं और योजनाओं को लागू किया था. उनकी प्रशासनिक क्षमता और रणनीतिक कौशल ने बीजेडी को लंबे समय तक सत्ता में बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. पांडियन के संन्यास के बाद, बीजेडी को अपने संगठनात्मक ढांचे और रणनीति में बड़े बदलाव करने होंगे ताकि वह भविष्य की चुनौतियों का सामना कर सके.
ओडिशा की राजनीति में नए युग की शुरुआत
आपको बता दें कि ओडिशा में भाजपा की विजय और बीजेडी के सत्ता से बाहर होने के साथ राज्य की राजनीति में एक नए युग की शुरुआत हुई है. भाजपा की नई सरकार से राज्य की जनता को काफी उम्मीदें हैं. वहीं नई सरकार के सामने कई चुनौतियां होंगी, जिनमें राज्य के विकास, रोजगार सृजन, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार शामिल हैं. इसके साथ ही भाजपा को राज्य में अपनी पकड़ मजबूत रखने के लिए निरंतर मेहनत करनी होगी.
HIGHLIGHTS
- कौन होगा ओडिशा का CM?
- राजनाथ सिंह-भूपेंद्र यादव करेंगे तय
- ओडिशा के BJP के नेता चर्चा के लिए नई दिल्ली पहुंच गए हैं
Source : News Nation Bureau