आज यानि की 25 दिसंबर को देश के दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 95वीं जयंती है. साल 1924 में आज ही के दिन अटल बिहारी का जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था. वो न सिर्फ एक ओजस्वी, सहृदय-दूरदर्शी राजनेता और संवेदनशील कवि भी थे. अटल बिहारी वाजयेपी का जन्म ठीक उसी दिन हुआ, जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कांग्रेस पार्टी के पहली और आखिरी बार अध्यक्ष बने.
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अटल बिहारी वाजपेयी साधारण परिवार में जन्मे, साधारण से प्राइमरी स्कूल में पढ़े और साधारण से प्राइमरी स्कूल टीचर के बच्चे हैं. उनके पिता का नाम कृष्ण विहारी वाजपेयी और दादा थे पंडित श्याम लाल वाजपेयी. गौरतलब हैं कि 16 अगस्त 2018 को अटल बिहारी वाजपेयी ने दुनिया को अलविदा कह दिया था.
उन्होंने सारे देश के सामने एक बार कहा था- 'मैं अटल तो हूं पर 'बिहारी' नहीं हूं. तब लोगों ने इसे अजीब ढंग से लिया था. लोगों को लगा कि वे 'बिहार' का अपमान कर रहे हैं. वस्तुत: उन्होंने कहा था कि असल में उनके पिता का नाम 'वसंत - विहार', 'श्याम-विहार', 'यमुना विहार' की तरह ही 'विहार' है, तो उनका मूल नाम है- अटल विहारी. ये तो बीबीसी लंदन ने शुरू कर दिया 'ए.बी.वाजपेयी' तो सब इसी पर चल पड़े.
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संसद में एक बार अटल जी के लिए किसी ने कहा कि 'वे आदमी तो अच्छे हैं लेकिन पार्टी ठीक नहीं है.' इस पर अटल जी ने अपने भाषण में कहा भी था कि, 'मुझसे कहा जाता है कि मैं आदमी तो अच्छा हूं, लेकिन पार्टी ठीक नहीं है, मैं कहता हूं कि मैं भी कांग्रेस में होता अगर वह विभाजन की जिम्मेदार नहीं होती.'
यूं तो वे भी पुराने कांग्रेसी थे. पहले सभी कांग्रेसी थे. आरंभिक दिनों में विजय राजे सिंधिया भी कांग्रेस में थी, जिवाजी राव सिंधिया भी कांग्रेस में थे. कांग्रेसी इस आरोप का उत्तर नहीं दे पाएंगे, क्योंकि कांग्रेस ही शायद कांग्रेस का इतिहास नहीं जानती. उन पर जो सबसे पहला आरंभिक प्रभाव था वो कई कवियों का रहा. मध्य प्रदेश के ही कई कवि अटल बिहारी वाजपेयी के कॉलेज में थे.
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डॉक्टर शिव मंगल सिंह 'सुमन' एक प्रगतिशील कवि और लेखक भी थे. अटल जी ने लाल किले से उनकी कविताएं भी पढ़ी हैं और अटल जी की जो बहुत मशहूर कविता है- 'हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा, और 'काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूं.'. उस पर 'सुमन जी' का प्रभाव है. इसी तरह की एक और कविता- 'गीत नया गाता हूं'.
Source : News Nation Bureau