Prophetic Words: अतीक को 19 साल पहले पूर्वाभास हो गया था कि वह 'गोलियां खाकर' मरेगा

2004 में लोकसभा चुनाव में फूलपुर निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव में अपने प्रचार अभियान के दौरान अतीक ने मीडिया से कहा था, 'एनकाउंटर होगा... या पुलिस मारी या कोई अपनी बिरादरी का सिरफिरा. सड़क के किनारे पड़े मिलब.'

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Nihar Saxena
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Atiq Phoolpur

माफिया सरगना से नेता बने अतीक ने खूब देखे हैं राजनीतिक रुआब के दिन.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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माफिया डॉन अतीक (Atiq) अहमद की भाई अशरफ (Ashraf) समेत हत्या के बाद मीडिया रिपोर्टों में लगभग 19 साल पहले अतीक की भविष्यवाणी (Prophecy) पर चर्चा हो रही है. 2004 में लोकसभा चुनाव (Loksabha Elections) में फूलपुर निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव में अपने प्रचार अभियान के दौरान अतीक ने मीडिया से कहा था, 'एनकाउंटर (Encounter) होगा... या पुलिस मारी या कोई अपनी बिरादरी का सिरफिरा. सड़क के किनारे पड़े मिलब.' अपनी इस 'भविष्यवाणी' के अनुरूप शनिवार को कुछ-कुछ ऐसी ही मौत मारा गया पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खौफ का पर्याय बन चुका गैंगस्टर अतीक. अतीक भले ही दुर्दांत अपराधी था, लेकिन नियमित अंतराल पर अनौपचारिक बैठकों में एक नेता के रूप में स्थानीय पत्रकारों से खुलकर बात करता था. गौरतलब है कि अतीक ने इलाहाबाद शहर के पश्चिमी इलाहाबाद निर्वाचन क्षेत्र से पांच बार विधानसभा चुनाव जीता था.

अतीक को इस तरह हो गया था अपनी मौत का पूर्वाभास
बताते हैं कि माफिया डॉन से राजनेता बना अतीक अहमद 2004 लोकसभा चुनाव के दौरान स्थानीय पत्रकारों से अनौपचारिक बातें कर रहा था. इसी बातचीत में एक पत्रकार ने उससे पूछा कि अपराधी भी होने के नाते वह अपना अंत कैसे देखता है? इस तीखे लेकिन मौत के अटल होने से जुड़े सवाल पर अतीक को मानो अपनी मौत का 'पूर्वाभास' तभी हो गया था. अतीक ने बेहद संजीदा अंदाज में कहा था,  'सब को पता होता है कि अंजाम क्या होना है. कब तक टाला जा सकता है, ये सब (चुनाव लड़ना) इसकी ही जद्दोजहद है.' यह याद दिलाने पर कि वह जिस फूलपुर संसदीय सीट से चुनाव लड़ रहा है, उसका प्रतिनिधित्व कभी भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू करते थे... अतीक ने जवाब दिया था, 'पंडितजी की तरह हम नैनी जेल में भी रहे हैं. वो किताब लिखे वहां, हमें अपनी हिस्ट्रीशीट की वजह से जाना पड़ा था.'

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ताबड़तोड़ गोलियों की बौछार से ही मारा गया अतीक
अतीक की 2004 में की गई भविष्यवाणी शनिवार को प्रयागराज में अंततः सच ही साबित हो गई. प्रयागराज में माफिया सरगना अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पुलिस हिरासत में उस वक्त हत्या कर दी गई, जब वह मीडिया से बात कर रहा था. अतीक और उसके भाई अशरफ की हत्या के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है. दोनों माफिया भाई अस्पताल परिसर में दाखिल हुए थे, जहां उनकी मेडिकल जांच होनी थी. इस बीच अतीक और अशरफ मीडिया से बात करने लगे. इसी बातचीत के दौरान मीडियाकर्मी बन कर पहुंचे तीन लोगों ने उनकी ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर हत्या कर दी. 

अतीक का राजनीतिक सफर
अपराध की दुनिया में खौफ का पर्याय बन चुके अतीक ने 1989 में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू. उसने एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में इलाहाबाद पश्चिम सीट जीती. निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अतीक अहमद ने लगातार अगले दो विधानसभा चुनावों में अपनी सीट बरकरार रखी. अतीक की चौथी जीत समाजवादी पार्टी के टिकट पर हुई. अतीक अहमद 1999 से 2003 के बीच अपना दल के अध्यक्ष भी रहा. 2002 में अतीक ने अपना दल के टिकट पर चुनाव जीता था. अतीक ने समाजवादी पार्टी में वापसी की और 2004 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के फूलपुर से सांसद चुना गया. 2005 में राजू पाल हत्याकांड के बाद अतीक अहमद ने 2008 में आत्मसमर्पण कर दिया. इसके बाद उसे समाजवादी पार्टी से निष्कासित कर दिया गया. राजू पाल बसपा विधायक थे, जिन्होंने अतीक के भाई अशरफ को 2005 में एक विधानसभा उपचुनाव में हराया था. अतीक के लोकसभा में सांसद चुने जाने के बाद उपचुनाव हुआ था. 2014 में अतीक को समाजवादी पार्टी में वापस ले लिया गया. सपा के टिकट पर अतीक ने फिर लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन भाजपा प्रत्याशी से हार गया. 2014 का लोकसभा चुनाव राजनीति में उसका आखिरी प्रयास था. 

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अतीक का आपराधिक रिकॉर्ड
पिछले चार दशकों में उत्तर प्रदेश में अतीक के खिलाफ 101 आपराधिक मामले दर्ज किए गए. पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक अतीक के खिलाफ पहला मर्डर केस 1979 में दर्ज किया गया था. अतीक पहला अपराधी था, जिस पर उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया. वह हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण, धोखाधड़ी, धमकी और जमीन पर कब्जा करने सहित कई अपराधों में शामिल था. अतीक 2005 में बसपा विधायक राजू पाल की हत्या में भी आरोपी था. यह घटना तब हुई जब बसपा विधायक ने अतीक के वर्चस्व को चुनौती दी और उसके भाई खालिद अजीम के खिलाफ चुनाव जीता. इलाहाबाद (पश्चिम) विधानसभा सीट से अतीक के छोटे भाई को हराने के तीन महीने बाद ही राजू पाल की गोली मार हत्या कर दी गई थी.  गैंगस्टर से राजनेता बने अतीक पर राजू पाल की हत्या के मुख्य गवाह उमेश पाल का अपहरण करने का भी आरोप लगाया गया था. अतीक ने उमेश पाल को यह बयान लिखने के लिए मजबूर किया था कि जब राजू पाल की हत्या होते वक्त मौका-ए-वारदात पर मौजूद नहीं था और वह गवाही भी नहीं देना चाहता था. उमेश पाल के 2006 में अपहरण के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. अतीक के पतन के शुरुआती संकेत 2016 में मिले थे जब उसके सहयोगियों पर प्रयागराज में कॉलेज के कर्मचारियों पर हमला करने का आरोप लगा. उन्होंने एक परीक्षा में नकल करने वाले छात्रों के खिलाफ कार्रवाई करने वाले शिक्षा अधिकारियों और कर्मचारियों से मारपीट की थी.

HIGHLIGHTS

  • अपराधी से नेता बना अतीक अहमद स्थानीय पत्रकारों से ढेरों अनौपचारिक बातें किया करता था
  • 2004 लोकसभा चुनाव के दौरान अतीक ने ऐसी ही एक बातचीत में अपनी मौत पर की थी चर्चा
  • शनिवार को प्रयागराज में अतीक अपने भाई समेत अपनी 'भविष्यवाणी' की तरह ही मारा गया
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