गैंगस्टर से राजनेता बने अतीक (Atiq) अहमद और उसके भाई अशरफ (Ashraf) की प्रयागराज के काल्विन अस्पताल में मीडिया की भारी मौजूदगी और पुलिस सुरक्षा के बीच तीन हमलावरों ने गोली मार कर हत्या (Atiq Murder) कर दी थी. इस हत्या के बाद लगभग पूरा विपक्ष (Opposition) योगी सरकार (Yogi Adityanath) के खिलाफ तीखे तेवर अपनाए हुए हैं. अब अतीक-अशरफ की हत्या का मामला सर्वोच्च न्यायालयकी चौखट तक पहुंच गया है. रविवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक याचिका दायर कर हत्याओं की जांच के लिए शीर्ष अदालत के एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में स्वतंत्र के गठन की मांग की गई. यही नहीं, अधिवक्ता विशाल तिवारी की ओर से दायर याचिका में 2017 के बाद से उत्तर प्रदेश में हुई 183 मुठभेड़ों की भी जांच की भी मांग की गई है. गोलीबारी से कुछ घंटे पहले ही अतीक अहमद के बेटे असद का अंतिम संस्कार किया गया, जो 13 अप्रैल को झांसी में यूपी एसटीएफ संग मुठभेड़ में अपने साथी शूटर के साथ मारा गया था.
योगी सरकार के दौरान हुई सभी 183 मुठभेड़ों की भी जांच की मांग
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश पुलिस के मुताबिक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार के छह वर्षों में 183 कथित अपराधियों को मुठभेड़ में ढेर किया जा चुका है. इसमें असद और उसका साथी शूटर गुलाम भी शामिल हैं. अब सु्प्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में अतीक-अशरफ की हत्याओं की जांच के लिए एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति के गठन की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है, '2017 के बाद से हुई 183 मुठभेड़ों की जांच के लिए भी सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाए. यह समिति कानून के शासन की रक्षा के लिए दिशानिर्देश/ निर्देश जारी करें. उत्तर प्रदेश के विशेष पुलिस महानिदेशक (कानून और व्यवस्था) के कथन के अनुरूप 183 मुठभेड़ों समेत और अतीक-अशरफ की पुलिस हिरासत में हत्या की जांच भी की जाए.'
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ऐसी घटनाएं पुलिस राज्य की ओर ले जाती हैं
अतीक की हत्या का जिक्र करते हुए याचिका में कहा गया है, 'पुलिस द्वारा इस तरह की कार्रवाई लोकतंत्र और कानून के शासन के लिए एक गंभीर खतरा है. यही नहीं, ऐसी घटनाएं पुलिस राज्य की ओर ले जाती है. लोकतांत्रिक समाज में पुलिस को अंतिम न्याय देने या दंड देने वाली संस्था बनने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. किसी अपराधी को सजा देने की शक्ति केवल न्यायपालिका में निहित है.' याचिका में कहा गया है, 'न्यायेतर हत्याओं या फर्जी पुलिस मुठभेड़ों की कानून के तहत कोई जगह नहीं है. जब पुलिस 'डेयर डेविल्स' बन जाती है तो कानून का पूरा शासन ध्वस्त हो जाता है और पुलिस के खिलाफ लोगों के मन में भय उत्पन्न होता है, जो लोकतंत्र के लिए बहुत खतरनाक है. इसका परिणाम भी आगे के अपराध से जुड़ा होता है.'
HIGHLIGHTS
- पुलिस को अंतिम न्याय देने या दंड देने वाली संस्था बनने की अनुमति नहीं दी जा सकती
- पुलिस के खिलाफ लोगों के मन में भय उत्पन्न होता है, जो लोकतंत्र के लिए बहुत खतरनाक
- पुलिस द्वारा इस तरह की कार्रवाई लोकतंत्र और कानून के शासन के लिए एक गंभीर खतरा