पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने बुधवार को कहा कि देश के अंदर दलितों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार के मामले बढ़ रहे हैं और ऐसी घटनाओं को अगर नहीं रोका गया तो यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक होगा।
मनमोहन सिंह ने कहा कि हमें विभाजनकारी नीतियों और राजनीति का बहिष्कार करना चाहिए।
पंजाब विश्वविद्यालय में पहले एस बी रंगनेकर मेमोरियल लेक्चर को संबोधित करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि देश का राजनीतिक विमर्श स्वतंत्रता और विकास के बीच खतरनाक और झूठी बाइनरी तैयार की जा रही है जिसका बहिष्कार होना चाहिए।
उन्होंने लोगों को बांटे जाने के कथित प्रयासों के ऊपर चिंता जताई है।
उन्होंने कहा, 'मुझे इस गहरी चिंता को दोहराने की जरूरत नहीं है कि भारतीय लोगों को धर्म, जाति, भाषा और संस्कृति के आधार पर बांटने का प्रयास किया जा रहा है हमें इस तरह की राजनीति को खारिज करना चाहिए।'
मनमोहन सिंह ने कहा कि देश की स्वतंत्रता का मतलब सिर्फ सरकार की स्वतंत्रता नहीं है। जबकि यह 'लोगों की स्वतंत्रता है, सिर्फ ताकतवर और विशेषाधिकार पाए लोगों तक सीमित नहीं होनी चाहिए जबकि हर भारतीय की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए।'
इसके अलावा मनमोहन सिंह ने देश की चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि पैसे और ताकत के बल पर इसे प्रभावित किया जा रहा है और इसके लिए चुनाव सुधारों की आवश्यकता है।
सिंह ने कहा, 'लोकतांत्रिक चुनावों में लोगों का विश्वास सरकार को चुनने की सबसे अच्छी प्रक्रिया है लेकिन आज राजनीतिक स्वार्थ के लिए लोकतांत्रिक संस्थानों पर हमले किए जा रहे हैं।'
मनमोहन सिंह ने बुधवार को अपने निजी पुस्तकालय से पंजाब विश्वविद्यालय को 3,500 किताबें दान में दी है।
जाने-माने अर्थशास्त्री रहे मनमोहन सिंह 1950 के दशक में पंजाब विश्वविद्यालय के छात्र रहे और बाद में यहां के अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर बने थे।
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Source : News Nation Bureau