जजों पर बढ़ते हमले न्यायपालिका के लिए चिंता की बात : CJI

कानून लागू करने वाली एजेंसियों विशेष रूप से केंद्रीय एजेंसियों को इस तरह के दुर्भावनापूर्ण हमलों से प्रभावी ढंग से निपटने की जरूरत है.

author-image
Nihar Saxena
New Update
NV Ramana

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

Advertisment

भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एनवी रमना ने शुक्रवार को कहा कि न्यायपालिका के लिए गंभीर चिंता का विषय अब न्यायाधीशों पर बढ़ते हमले हैं. रमना ने कहा कि इनमें शारीरिक हमलों के साथ ही मीडिया, विशेष रूप से सोशल मीडिया द्वारा किए जाने वाले हमले भी शामिल हैं. सीजेआई ने कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों को ऐसे दुर्भावनापूर्ण हमलों से प्रभावी ढंग से निपटने की जरूरत है. विज्ञान भवन में सर्वोच्च न्यायालय की रजिस्ट्री द्वारा आयोजित संविधान दिवस समारोह में अपने संबोधन में उन्होंने कहा, 'न्यायपालिका के लिए गंभीर चिंता का क्षेत्र न्यायाधीशों पर बढ़ते हमले हैं. न्यायिक अधिकारियों पर शारीरिक हमले बढ़ रहे हैं. मीडिया, खासकर सोशल मीडिया में न्यायपालिका पर हमले हो रहे हैं.'

उन्होंने कहा, 'ये हमले प्रायोजित और समकालिक प्रतीत होते हैं. कानून लागू करने वाली एजेंसियों विशेष रूप से केंद्रीय एजेंसियों को इस तरह के दुर्भावनापूर्ण हमलों से प्रभावी ढंग से निपटने की जरूरत है. सरकारों से एक सुरक्षित वातावरण बनाने की उम्मीद की जाती है, ताकि न्यायाधीश और न्यायिक अधिकारी निडर होकर काम कर सकें.' सीजेआई ने यह भी कहा कि विभिन्न भूमिकाओं में एक कानूनी पेशेवर के रूप में उनके अनुभव ने उन्हें 'न्यायपालिका के भारतीयकरण' का आह्वान करने के लिए प्रेरित किया.

उन्होंने आगे कहा, 'न्यायिक प्रणाली, जैसा कि आज हमारे देश में मौजूद है, अनिवार्य रूप से अभी भी औपनिवेशिक प्रकृति की है. इसमें सामाजिक वास्तविकताओं या स्थानीय परिस्थितियों का कोई हिसाब नहीं है.' सीजेआई रमना ने कहा कि कुछ ऐसा हो कि लोगों को अदालतों का दरवाजा खटखटाने में आत्मविश्वास महसूस करना चाहिए. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब वादियों को सीधे भाग लेने का मौका मिलेगा, तभी प्रक्रिया और परिणाम में उनका विश्वास मजबूत होगा.

जनहित याचिकाओं पर, सीजेआई रमना ने कहा, 'मुझे यकीन नहीं है कि दुनिया में कहीं और एक आम आदमी द्वारा लिखे गए एक साधारण पत्र को सर्वोच्च आदेश का न्यायिक ध्यान मिलता होगा. हां, कभी-कभी दुरुपयोग के कारण इसे 'प्रचार हित याचिका' के रूप में उपहासित किया जाता है. प्रेरित जनहित याचिकाओं को हतोत्साहित करने के लिए हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए.' सीजेआई ने यह भी कहा कि यह बहुत खुशी की बात है कि शीर्ष न्यायालय में रिक्तियों की संख्या अब घटकर मात्र एक रह गई है. उन्होंने कहा, 'अब सुप्रीम कोर्ट में पहली बार चार महिला जज हैं. मुझे उम्मीद है कि यह संख्या और बढ़ेगी.'

सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों को संबोधित करने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण का सुझाव देते हुए, उन्होंने कुछ समाधान भी सूचीबद्ध किए, जिसमें न्यायिक अधिकारियों की मौजूदा रिक्तियों को भरना, अधिक से अधिक पदों का सृजन, लोक अभियोजकों, सरकारी वकीलों और स्थायी वकील के रिक्त पदों को भरना, आवश्यक बुनियादी ढांचे का निर्माण आदि शामिल रहे. उन्होंने पुलिस और कार्यपालिका को अदालती कार्यवाही में सहयोग करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा, 'भारत सरकार देश भर के पुलिस थानों के आधुनिकीकरण के लिए लागू मॉडल का अनुसरण कर सकती है. न्याय प्रदान करने में तेजी लाने के लिए नए न्यायालय परिसरों को आधुनिक तकनीकी उपकरणों को तैनात करने में सक्षम होना चाहिए. इसके लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा वाले आधुनिक उपकरण और हाई स्पीड नेटवर्क जरूरी हैं.'

HIGHLIGHTS

  • शारीरिक ही नहीं, सोशल मीडिया से भी हमले बढ़े
  • कानून प्रवर्तन एजेंसियां ऐसे हमलों से प्रभावी ढंग से निपटें
  • सुप्रीम कोर्ट में महिला जजों की संख्या बढ़ने की उम्मीद
Supreme Court Social Media सोशल मीडिया सुप्रीम कोर्ट CJI मुख्य न्यायाधीश NV Ramana एनवी रमना Attacks
Advertisment
Advertisment
Advertisment