हिमाचल प्रदेश के साथ लगी तिब्बत सीमा के पास खराब मौसम के बावजूद गुरुवार को बचावकर्मियों ने खोज अभियान फिर से शुरू कर दिया है जहां हिमस्खलन के कारण एक सैनिक की मौत हो गई, जबकि पांच अन्य लापता हो गए थे. खोज अभियान का आज दूसरा दिन है। अधिकारियों ने सैनिकों के 200 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैले बर्फ के नीचे दबे होने की आशंका जताई है. एक सरकारी अधिकारी ने बताया, 'आज सुबह रुक-रुक कर हुई बर्फबारी के बावजूद खोज अभियान शुरू कर दिया गया है.'
हिमस्खलन बुधवार को उस समय हुआ जब तिब्बत सीमा से सटे नामिया डोगरी के पास का ग्लेशियर खिसक गया जिसमें नियमित गश्त पर निकले जम्मू और कश्मीर राइफल्स के 16 सैनिकों में से छह बर्फ में दब गए. इस आपदा में भारत-तिब्बत सीमा बल (आईटीबीपी) के पांच जवान भी घायल हो गए.
सरकार की ओर से बताया गया कि जिस समय हिमस्खलन हुआ तब सेना और आईटीबीपी की दो अलग-अलग पार्टियां नामिया डोगरी में गश्त कर रही थीं. इस घटना में मरने वाले सैनिक की पहचान हिमाचल प्रदेश निवासी राजेश कुमार के रूप में हुई है.
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बता दें 9 फरवरी को जम्मू-कश्मीर हाई-वे पर हुए हिमस्खलन में 10 लोग फंस गए थे. सिलेक्शन ग्रेड कांस्टेबल परवेज अहमद की मौत हो गयी थी. जवाहर सुरंग के पास एक पुलिस चौकी हिमस्खलन की चपेट में आ गई थी जिससे 10 लोग इसमें दब गए थे. इन लोगों में आठ पुलिसकर्मी और दो कैदी शामिल थे। इस घटना में बचाव और राहत दल ने सात शवों को बरामद किया था.
इसके अलावा जनवरी में लद्दाख के लेह में हिमस्खलन की चपेट में आने से सात से ज्यादा लोगों की मौत हो गयी थी. यह लोग खारदोंग ला दर्रा के पास से ट्रक से जा रहे थे. 18 जनवरी को पांच शवों को निकाल लिया गया था. खारदुंग ला दर्रा 17,500 फुट पर दुनिया में सबसे ऊंचाई पर स्थित सड़क मार्ग है. पारा लुढ़कने के कारण शीतलहर का प्रकोप जारी है. पहाड़ों से लेकर मैदान कई फुट बर्फ की चादर से ढके हैं.
Source : News Nation Bureau