अयोध्या मामले की सुनवाई का आज (मंगलवार) 8वां दिन था. रामलला के वकील सीएस वैद्यनाथन ने विवादित ढांचा के नीचे प्राचीन मंदिर को साबित करने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट में पेश की गवाहियों का हवाला दिया. सीएस वैद्यनाथन ने राम मंदिर के अस्तित्व को साबित करने के लिए कई हिंदू गवाहों की गवाही का हवाला तो दिया ही इसके साथ ही इलाहाबाद हाई कोर्ट में मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश कई मुस्लिम गवाहों के बयान के हिस्सों को भी कोर्ट के सामने पढ़ा.
वैद्यनाथन ने कहा कि इन गवाहों ने ख़ुद माना है कि जिस जगह को मुस्लिम लोग बाबरी मस्जिद कहते हैं वो हिंन्दुओं द्वारा जन्मभूमि के तौर पर जानी जाती है और यहां सदियों से पूजा-परिक्रमा की भी परंपरा रही है. वैद्यनाथन ने मुस्लिम गवाह मोहम्मद हाशिम के बयान का हवाला देते हुए कहा कि हाशिम ने अपनी गवाही में माना है कि जैसे मक्का मुसलमानों के लिए पवित्र है वैसे ही हिन्दुओं के लिए अयोध्या.
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इसके अलावा एक मुस्लिम गवाह यासीन ने जिरह में माना है कि मंदिर को खत्म कर मस्जिद नहीं बनाई जा सकती और अगर ऐसी कोई मस्जिद बनती है तो वहां अदा की गई नमाज वैध नहीं है.
इनके अलावा वैद्यनाथन ने कई ऐसे हिन्दू गवाहों की गवाहियों का जिक्र किया जो यहां अक्सर दर्शन के लिए आते रहते है या फिर यहां लंबे समय से रह रहे हैं.
वैद्यनाथन ने 90 साल के परमचन्द रामचन्द्र दास का हवाला देते हुए कहा कि वो लंबे समय से अयोध्या में रहते आये है और 1999 में 90 साल की उम्र में उन्होंने गवाही दी. यहां तक कि क्रॉस एग्जामिनेशन में वो अपने बयान से नहीं डिगे. सीएस वैद्यनाथन ने एक दूसरे गवाह रामनाथ मिश्रा की गवाही का जिक्र किया, जिनका बयान देते वक़्त उम्र 91 साल की थी.
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उनके बयान के मुताबिक उनकी शादी के बाद सभी मेहमान रामजन्मभूमि के दर्शन के लिए गये और उस जगह की परिक्रमा की. वैद्यनाथन ने कई ऐसे गवाहों के बयान का जिक्र किया और इन गवाही से साफ है कि अयोध्या में रामनवमी मनाई जाती है. कार्तिक महीने में पंचकोसी- चौदह कोसी परिक्रमा की जाती है. श्रद्धालु सरयू नदी में स्नान करते थे. स्नान के बाद रामजन्मभूमि और दूसरे मंदिरों के दर्शन करते थे.