आज पूरे देश की नजर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पर टिकी हुई है क्योंकि अयोध्या मामले (Ayodhya Case) पर आखिरी सुनवाई चल रही है. राम मंदिर और बाबरी मस्जिद दोनों पक्षकारों की बात सुनी जा रही है. बारी-बारी से दोनों पक्ष के वकीलों ने अपना मत रखा. केस की सुनवाई शांति तरीके से चल रही थे लेकिन वहां का माहौल अचानक तब गर्मा गया जब मुस्लिम पक्ष के वकिल ने एक नक्शे को फाड़ दिया. इस नक्शे में दावा किया गया था कि नक्शे में भगवान राम के जन्म स्थान की पूरी जानकारी है.
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दरअसल, हिंदू महासभा की तरफ से कोर्ट में एक नक्शा पेश किया गया था, जिसे मुस्लिम पक्षकार के वकिल राजीव धवन ने फाड़ दिया. चीफ जस्टिस ने धवन के इस तरीके पर नाराजगी जताते हुए कहा- आप चाहे तो पूरे पेज फाड़ सकते हैं. इतना ही नहीं, उन्होंने वकीलों के रवैये पर नाराजही जाहिर करते हुए कहा, इस तरीके से सुनवाई नहीं हो सकती. कोर्ट रूम के अंदर ऐसी नोंकझोंक अदालत का कीमती वक़्त बर्बाद कर रही है. हम अभी सुनवाई बन्द कर देंगे और आप सब से लिखित जवाब मांग कर फैसला सुरक्षित लेंगे.
जानें कौन है राजीव धवन?
अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्ष की तरफ से वकील राजीव धवन सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हैं. एससी (SC) की वेबसाइट से मिली जानकारी के मुताबिक, राजीव धवन का 130वां स्थान है. राजीव धवन के पिता का नाम शांति स्वरूप धवन है जो न्यायधीश, यूके में भारत के राजदूत, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल और लॉ कमिशन के सदस्य रह चुके हैं. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा इलाहाबाद हाई स्कूल से और शेरवुड स्कूल नैनीताल से पूरी की है. वहीं उच्च शिक्षा उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय, कैंब्रिज विश्वविद्यालय और लंदन विश्वविद्यालय से की है.
राजीव धवन ने 1992 में वकालत करना शुरू किया था, उन्होंने कांग्रेस नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल के साथ वकालत का काम सीखा था. 1992 में मंडल कमीशन मामले और 1994 में अयोध्या मामले में राजीव धवन की बहस से प्रभावित होकर उन्हें सुप्रीम कोर्ट का वरिष्ठ वकील नियुक्त किया गया था.
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बता दें कि जिस नक्शे को राजीव धवन ने फाड़ा है उसे हिन्दू महासभा की ओर से वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने पूर्व आईपीएस किशोर कुणाल की किताब 'Ayodhya Revisited' से निकालकर अदालत में पेश किया था. ये किताब 2016 में प्रकाशित की गई थी. इस किताब में लिखा गया है कि अयोध्या स्थित राम मंदिर को 1528 में मीर बाकी ने ध्वस्त नहीं किया था. बल्कि इसे 1660 में औरंगजेब के रिश्तेदार फिदाई खान ने तोड़ा था.