सोमवार को अयोध्या केस में सुनवाई का 38वां दिन है. तय शेड्यूल के मुताबिक आज मुस्लिम पक्ष के पास अपनी बात रखने का अंतिम मौका है. आज मुस्लिम पक्ष की जिरह पूरी हो जाएगी. इसके बाद मंगलवार और बुधवार को हिंदू पक्ष को जवाब देने का आखिरी मौका मिलेगा और 17 अक्टूबर को सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया जाएगा.
राजीव धवन को वक्त देने से कोर्ट ने किया इंकार
आज सुनवाई शुरू होते ही सुन्नी वक्फ बोर्ड के राजीव धवन ने कोर्ट से अपनी जिरह पूरी करने के लिए आज के बाद डेढ़ घंटे का और वक्त मांगा. हालांकि कोर्ट ने राजीव धवन को वक्त देने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि आज ही अपनी बात पूरी करने की कोशिश कीजिए.
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इसके बाद राजीव धवन ने सुब्रमण्यम स्वामी के वकीलों के साथ आगे की सीट पर बैठने पर भी आपत्ति जाहिर की. उन्होंने कहा- 'विजिटर' को इस जगह बैठने की इजाज़त नहीं है और स्वामी को कोई छूट नहीं दी जा सकती. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हम इस पर विचार करेंगे. वहीं स्वामी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और चुपचाप बैठे रहे.
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इसके बाद धवन ने दलील देते हुए कहा, विवादित जमीन पर लगातार हमारा कब्जा रहा है. हिंदू पक्ष ने बहुत देर से दावा किया. 1989 से पहले हिंदू पक्ष ने कभी जमीन पर मालिकाना दावा पेश नहीं किया. 1986 में रामचबूतरे पर मंदिर बनाने की मंहत धर्मदास की मांग को फैजाबाद कोर्ट खारिज कर चुका है. ASI की रिपोर्ट में भी कहीं पर मन्दिर के विध्वंस किये जाने की बात नहीं कही गई है.
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मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि मैंने नोटिस किया है कि सुनवाई के दौरान बेंच के सारे सवाल मुस्लिम पक्ष से ही रहे है. हिंदू पक्ष से कोई सवाल नहीं पूछा गया. रामलला के वकील सीएस वैद्यनाथन ने इस पर ऐतराज जाहिर करते कहा ये गलत, बेबुनियाद बात है. जिसके बाद धवन ने कहा कि मैं कोई बेबुनियाद बात नहीं कह रहा है. मेरी ज़िम्मेदारी बनती है कि मैं बेंच के सारे सवालों के जवाब दूं. पर सारे सवाल मुस्लिम पक्ष से ही क्यों हो रहे है.
सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन से सवाल पूछा कि बाहरी चबूतरे पर हिंदुओं के कब्जे को लेकर उनका क्या कहना है. दस्तावेज वहां पर 1885 से रामचबूतरे पर हिंदुओ द्वारा पूजा किये जाने की पुष्टि करते है. क्या ये मुस्लिम पक्ष के दावे को कमज़ोर नहीं करता धवन ने जवाब दिया कि नहीं ,इससे मुस्लिम पक्ष का मालिकाना दावा कमजोर नहीं होता. मुस्लिम हमेशा पूर्वी गेट से एंट्री करते रहे है. हिंदू सिर्फ रामचबूतरे पर पूजा करते रहे हैं, वो भी मुस्लिम पक्ष की इजाजत से. जमीन पर मालिकाना हक को लेकर तब हिंदू पक्ष ने दावा पेश नहीं किया था.