अयोध्या राम जन्मभूमि मासले को आपसी रजामंदी से सुलझाने की एक कोशिश फिर से की जा रही है. इसी को लेकर यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्वाणी अखाड़ा ने एक बार फिर मध्यस्थता की मांग की है. Supreme Court की ओर से नियुक्त मध्यस्थता पैनल के अध्यक्ष जस्टिस कलीफुल्ला को इसके लिए एक लेटर लिखा गया है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मुस्लिम पक्षकारों में अभी भी इस मसले को लेकर थोड़ा सा मतभेद है. कुछ का मानना है कि राम जन्मभूमि हिंदुओं को देने में कोई हर्ज नहीं है लेकिन उनकी एक ही शर्त है कि इसके बाद हिंदू किसी अन्य मस्जिद या ईदगाह पर दावा ना करें. साथ ही एएसआई के कब्जे वाली सारी मस्जिदें नियमित नमाज के लिए खोल दी जाएं.
यह भी पढ़ें: सुब्रमण्यम स्वामी बोले-इसी साल होगा राम मंदिर का निर्माण, इस दिन आएगा फैसला
जबकि दूसरी ओर सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील इस बात से इनकार कर रहे हैं कि जस्टिस कलीफुल्ला को सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से कोई पत्र भेजा गया है. वकील ने कहा है कि ये हो सकता है कि वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने व्यक्तिगत कुछ भेजा हो. एक बार सुनवाई शुरू होने के बाद मध्यस्थता पैनल को भंग कर दिया गया है.
इसके कहा जा रहा है कि निर्वाणी अखाड़ा जिसका नाम मध्यस्थता के लिए सामने आया है, मामले का भी पक्षकार नहीं है. निर्वाणी अखाड़ा के जिम्मे हनुमानगढ़ी मंदिर का प्रभार है. बोर्ड के वकील ने ये संभावना जताई है कि हो सकता है "पूजा करने वालों" के रूप में एक हस्तक्षेप याचिका दायर की गई हो लेकिन राम जन्मभूमि विवाद में इसे आधिकारिक पक्षकार कतई नहीं माना जा सकता.
यह भी पढ़ें: अयोध्या के काशी और मथुरा में मस्जिदों को हटाने का काम किया जाएगा, सुब्रमण्यम स्वामी ने कही ये बात
पूर्व केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) ने एक बार फिर कहा कि इसी साल राम मंदिर (Ram Mandir) का काम शुरू हो जाएगा और कोर्ट का फैसला नवंबर में रामलला के पक्ष में फैसला आएगा. उन्होंने ये बातें रविवार को कहीं. वह अपने जन्मदिन की शुरुआत अयोध्या में रामलला के दर्शन से की.
HIGHLIGHTS
- मुस्लिम पक्षकारों ने मध्यस्थता पैनल के अध्यक्ष जस्टिस कलीफुल्ला को लिखा पत्र.
- हालांकि मुस्लिम पक्षकारों में अभी भी इस मसले को लेकर थोड़ा सा मतभेद है.
- जबकि सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील पत्र लिखने की बात से इनकार कर रहे हैं.