जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं सभी राजनीतिक पार्टियां उसकी तैयारियों में जुट गई है। एक बार फिर से राजनीतिक दल अपने परंपरागत मुद्दों को लेकर जनता के सामने जा रहे हैं। इसी कड़ी में राम मंदिर का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में आ चुका है। बीजेपी के पूर्व सांसद और राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष रामविलास वेदांती ने दावा किया है कि 2019 चुनाव से पहले राम मंदिर का निर्माण शुरू कर दिया जाएगा।
राम मंदिर निर्माण पर प्रतिक्रिया देते हुए वेदांती ने कहा, 'बीजेपी ने राम मंदिर बनाने का संकल्प किया है। 2019 चुनाव से पहले राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।'
गौरतलब है कि हाल ही में यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने भी विवादित जमीन को लेकर ऐसा ही एक बयान दिया था।
मौर्या ने कहा था कि अगर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए कोई विकल्प नहीं बचता है तो बीजेपी सरकार संसद में बिल लाकर इसे बनवाएगी। हालांकि इसके लिए बीजेपी को संसद के उच्च सदन (राज्य सभा) में भी बहुमत की आवश्यकता होगी। दोनों सदनों में बहुमत होगा तो केंद्र सरकार कानून बनाकर मंदिर का निर्माण करा सकती है।
मौर्या के इस बयान के बाद चारों ओर हंगामा शुरू हो गया था। संसद में बिल लाने की बात पर विवाद से जुड़े पक्षकारों ने इसे चुनावी लॉलीपॉप बताया था और कहा था कि इस तरीके का बयान कोर्ट की अवमानना है।
बता दें कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में है। इस मुद्दे पर हिंदू-मुसलमानों में आपसी समन्वय स्थापित करने के लिए कई धर्मगुरु पहल कर चुके हैं। हालांकि अभी तक दोनों समुदायों के बीच इस मुद्दे पर किसी भी तरह का आपसी समझौता नहीं हुआ है।
पक्षकारों ने दो टूक कहा था कि कानून बना कर बीजेपी को मंदिर निर्माण कराना होता तो बहुमत मिलते ही करा देती। चुनाव नजदीक है तो राम याद आ रहे हैं।
उधर, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के सदस्य और मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने भी मौर्य के बयान पर पलटवार करते हुए कहा था, 'राम मंदिर जैसे संवेदनशील मुद्दे पर बयान देना सही नहीं है। नेताओं को इस मामले में बयानबाजी से बचना चाहिए। जब मामला सुप्रीम कोर्ट में है तो फिर नेता जानबूझकर ऐसे बयान क्यों देते हैं?'