अयोध्या विवाद मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 27 अप्रैल को सुनवाई की अगली तारीख़ निर्धारित की है। इससे पहले करीब सवा घण्टे तक अयोध्या भूमि विवाद को लेकर सुनवाई चलती रही।
मुस्लिम पक्षकारों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने एक बार फिर मामले को संविधान पीठ के सामने सौपे जाने की मांग की।
धवन ने दलील दी कि इस्माइल फारुखी मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा था कि मस्ज़िद इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। कहीं न कहीं इसका असर भी अयोध्या मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रहा है।
राजीव धवन ने कहा, 'आपने बहुविवाह का मसला संविधान पीठ को सौंपा। लेकिन ये उससे खहीं ज़्यादा बड़ा मसला है। ये सवाल कि मस्ज़िद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा है या नहीं, तुरंत संविधान पीठ को सौंपा जाना चाहिए।
जिसके बाद चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा, 'हम सिर्फ राजीव धवन को सुनकर ही कोई फैसला नहीं लेंगे, हम सभी पक्षों को सुनने के बाद ही संविधान पीठ को सौपे जाने के लिए फैसला लेंगे।'