अयोध्या विवाद (राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद) मामले में याचिकाकर्ता हाजी महबूब ने आरोप लगाया है कि विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) इस मुद्दे को सुलझाना नहीं चाहती हैं और अपने फायदे को इस मुद्दे को बनाए रखना चाहती है. याचिकाकर्ता ने यह आरोप तब लगाया है जब 5 मार्च को सुप्रीम कोर्ट जमीन विवाद मामले पर मध्यस्तता आदेश दे सकता है. शीर्ष अदालत ने 26 फरवरी को सुनवाई के दौरान कहा था कि वह अयोध्या विवाद के सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए मध्यस्थता का आदेश जारी कर सकता है.
महबूब ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, 'हिंदू पक्ष के मुख्य याचिकाकर्ता निर्मोही अखाड़ा इस मुद्दे का समाधान चाहते हैं लेकिन विश्व हिंदू परिषद अपने फायदे के लिए इस मुद्दे को हमेशा बनाए रखना चाहती है.'
उन्होंने कहा, 'बातचीत शुरू हो चुकी है. सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि मुद्दे (अयोध्या विवाद) का समाधान बातचीत के जरिये होना चाहिए.'
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा विवादित स्थल को तीन भागों में बांटने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2010 के अपने फैसले में विवादित स्थल को तीन भागों- रामलला, निर्मोही अखाड़ा और मुस्लिम पक्षकारों में बांट दिया था.
26 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर वाली 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने याचिकाओं की सुनवाई के मुद्दे पर मध्यस्थता का सुझाव दिया था. हालांकि हिंदू पक्षों की ओर से पेश हुए वकीलों ने हालांकि सुझाव को स्वीकार नहीं किया है.
जस्टिस बोबडे ने कहा था, 'हम दो समुदायों के बीच संबंधों को बेहतर बनाने की संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं.' उन्होंने कहा, 'अदालत के रूप में हम केवल संपत्ति के मुद्दे का फैसला कर सकते हैं.'
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इस पर मुस्लिम पक्षों की ओर से पेश हुए वकीलों ने इसे स्वीकार कर लिया और और कहा कि मध्यस्थता और 2010 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर नियमित सुनवाई साथ-साथ जारी रहने चाहिए.
मुस्लिम पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने पीठ को बताया था, 'हमारी ओर से, हम काफी लंबे अरसे से इसके (मध्यस्थता और सुनवाई) एक साथ जारी रहने को लेकर सहमत हैं.'
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हिंदूवादी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील सी एस वैद्यनाथन ने कहा, 'इस तरह के मामलों में ज्यादातर का हल नहीं निकलता है. इसे एक बार से ज्यादा बार आजमाया जा चुका है. हम मध्यस्थता का एक और चरण नहीं चाहते हैं.'
अन्य हिंदू पक्ष की ओर से पेश हुए वकील रंजीत कुमार ने कहा, 'इसका प्रयास अतीत में भी किया गया था, जिसका कोई फायदा नहीं हुआ था. मध्यस्थता संभव नहीं है.'
Source : News Nation Bureau