अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को लेकर बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने 25 सितंबर 1990 को रथ यात्रा निकाली थी. उनकी इस पहली रथ यात्रा का सारथी और कोई नहीं बल्कि नरेंद्र मोदी थे. यह सारथी आज देश का प्रधानमंत्री है. आडवाणी की सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक की यात्रा के दौरान ही नरेंद्र मोदी का राष्ट्रीय पटल पर अवतरण हुआ. 13 सितंबर 1990 को मोदी ने गुजरात इकाई के महासचिव (प्रबंधन) के रूप में आडवाणी की रथ यात्रा के औपचारिक कार्यक्रमों और यात्रा के मार्ग के बारे में मीडिया को बताया था.
इस रथयात्रा ने नरेंद्र मोदी के लिए दिल्ली का रास्ता खोला था. इस समय मोदी ने एक तीर से कई निशाने साधे. पूरी नेशनल मीडिया से बात करने के लिए मोदी ही अधिकृत थे. उन्होंने केंद्र में बैठी वीपी सिंह से लेकर यूपी में मुलायम सिंह सरकार तक को ललकारते हुए कहा था कि कोई आडवाणी जी के रथ को रोक कर तो दिखाए.उस समय मीडिया को दिए गए तमाम बयानों के दौरान उन्होंने राम मंदिर को सांस्कृतिक चेतना और धरोहर बताया था. योजना के मुताबिक 25 सितंबर को सोमनाथ से निकली यात्रा 30 अक्टूबर को अयोध्या में खत्म होनी थी. इसकी कामयाबी को देखते हुए नरेंद्र मोदी को प्रबंधन का मास्टर का खिताब मिल गया और उन्हें बीजेपी की अगली यात्रा यानी मुरली मनोहर जोशी की कन्या कुमारी से कश्मीर तक की एकता यात्रा का भी सारथी बना दिया गया.
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दरअसल तय योजना के मुताबिक 25 सितंबर को सोमनाथ से शुरू होकर यात्रा 30 अक्टूबर को अयोध्या में खत्म होनी थी. रथयात्रा की कामयाबी को देखते हुए मोदी को प्रबंधन का मास्टर का खिताब मिल गया और उन्हें बीजेपी की अगली यात्रा यानी मुरली मनोहर जोशी की कन्या कुमारी से कश्मीर तक की एकता यात्रा का भी सारथी बना दिया गया.
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23 सितंबर को बिहार के समस्तीपुर आडवाणी का रथ रुक गया. लालू यादव के निर्देश पर आडवाणी गिरफ्तार कर लिए गए. सात दिन बाद अयोध्या में यात्रा खत्म होनी थी, हजारों स्वंयसेवक और रामभक्त वहां पहुंच चुके थे. मुलायम सिंह यादव की सरकार ने कारसेवकों पर गोलियां चलवा दीं. कई लोग मारे गए, बीजेपी ने समर्थन वापस लिया तो कांग्रेस ने मुलायम को सहारा दे दिया. सरकार तो बच गई लेकिन कांग्रेस की यही भूल सबसे बड़ी भूल साबित हुई. तब से आज तक उप्र में कांग्रेस चौथे स्थान से ऊपर नहीं उठ पाई है.
राम मंदिर को लेकर कुछ तथ्य
- अक्टूबर 1984 में विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में मंदिर के लिए रामजन्म भूमि मुक्ति यज्ञ समिति का गठन किया
- 8 अक्टूबर 1984 को अयोध्या से लखनऊ की 130 किलोमीटर की यात्रा से आंदोलन शुरू हुआ.
- 1986 में VHP ने मंदिर आंदोलन को बड़े पैमाने पर शुरू कर दिया.
- 1989 में वीएचपी ने विवादित स्थल के नजदीक ही राम मंदिर की नींव रख दी.
- 1989 में वीएचपी के आंदोलन को तब बड़ा मंच मिला जब बीजेपी उसके साथ खड़ी हो गई.
- जून 1989 में बीजेपी ने पालमपुर प्रस्ताव में मंदिर आंदोलन के पक्ष में खड़े होने का फैसला किया.
- 1989 के आम चुनाव से ठीक पहले राजीव गांधी सरकार ने वीएचपी को मंदिर के लिए अयोध्या में 9 नवंबर को शिलान्यास की इजाजत दे दी.
- 22 से 24 नवंबर 1989 को आम चुनाव से पहले हिंदी प्रदेशों में दंगों में करीब 800 लोगों की जान चली गई.
Source : DRIGRAJ MADHESHIA