बाबरी मामला फिर सुर्खियों में है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को बातचीत से हल खोजने का सुझाव दिया है। गुजरते वक्त के साथ मामला भले ही पेचीदा हो चला है लेकिन उम्मीद सभी को है कि कोई हल निकल जाएगा।
दोनों पक्षों की ओर से कई ऐसे लोग हैं जो बातचीत से मुद्दे को सुलझाने के समर्थन में रहे हैं। इन बहसों के बीच एक जिक्र बाबरी मस्जिद के सबसे बुजुर्ग पैरोकार हाशिम अंसारी का भी जरूरी है।
सबसे पुराने पैरोकार नहीं रहे लेकिन मुद्दा अब भी जिंदा
हाशिम अब इस दुनिया में नहीं हैं। उनका निधन पिछले साल 20 जुलाई को 96 साल की उम्र में हो गया। हाशिम पिछले करीब साठ सालों से बाबरी मस्जिद के लिए पैरवी करते रहे। वह बातचीत से मुद्दे को सुलझाने के पक्ष में थे और मंदिर-मस्जिद साथ-साथ बनवाने की कोशिश में थे।
साल 1949 में जब मस्जिद के अंदर मूर्तियां रखी गई तो प्रशासन ने शांति व्यवस्था के लिए जिन लोगों को गिरफ्तार किया उनमें हाशिम भी शामिल थे।
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हाशिम को 1975 की इमरजेंसी में भी गिरफ्तार किया गया और करीब आठ महीने तक बरेली की सेंट्रल जेल में रखा गया। इससे पहले 1961 में जब सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अयोध्या मामले में केस किया था तब भी हाशिम इस मामले में एक और पैरोकार बने।
यही नही, 1992 के दंगो में भी कुछ लोगों ने उनका घर जला दिया। बाद में सरकार की ओर से उन्हें जो मुआवजा मिला, उससे उन्होंने अपने घर को दोबारा बनाया।
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Source : News Nation Bureau