अयोध्या में विवादित ढांचे के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई जारी रही। सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकार की तरफ से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने 1994 के इस्माइल फारुखी फैसले पर दोबारा विचार करने की मांग की।
राजीव धवन ने अपनी दलील पेश करते हुए कहा कि 1994 का संविधान पीठ का फैसला अनुच्छेद 25 के तहत दिए आस्था के अधिकार को कम करता है।
धवन ने कहा, 'इस्लाम के तहत मस्ज़िद का बहुत महत्व होता है। एक बार मस्ज़िद बन जाए तो वो अल्लाह की संपत्ति मानी जाती है। उसे तोड़ा नहीं जा सकता।'
राजीव धवन ने कहा कि खुद पैग़ंबर मोहम्मद ने मदीना से 30 किमी दूर मस्ज़िद बनाई थी। इस्लाम में इसके अनुयायियों के लिए मस्ज़िद जाना अनिवार्य माना गया है।
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उन्होंने कहा कि अयोध्या में विवादित ढांचे पर यह कह देना कि कोई जगह मस्ज़िद नहीं थी, उससे कुछ नहीं होता। किसने आदेश दिया कि वहां नमाज नहीं पढ़ी जाएगी।
आपको बता दें कि 1994 के इस्माइल फारुखी फैसले में मस्ज़िद को इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं माना गया था।
इससे पहले अयोध्या मामले में 14 मार्च को दिए अपने अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने तीसरे पक्ष द्वारा दायर हस्तक्षेप की सभी 32 याचिकाएं खारिज कर दीं थी।
अयोध्या मामले में अगली सुनवाई 6 अप्रैल को होगी।
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Source : News Nation Bureau