राम मंदिर विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा क्या जन्मस्थान को भी जीवित व्यक्ति का दर्जा देकर पक्षकार बना सकते हैं

अयोध्या में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर 6 अगस्‍त से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. आज सुनवाई का तीसरे दिन है.

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Dhirendra Kumar
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राम मंदिर विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा क्या जन्मस्थान को भी जीवित व्यक्ति का दर्जा देकर पक्षकार बना सकते हैं

सुप्रीम कोर्ट (SC)-फाइल फोटो

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राम मंदिर विवाद: अयोध्या मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है. आज सुनवाई का तीसरे दिन है. निर्मोही अखाड़े की ओर से सुशील जैन की दलीलों के बाद रामलला की ओर से पूर्व अटॉर्नी जनरल के. परासरन ने दलीलें रख रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसमे कोई दो राय नहीं कि विवादित जगह ही जन्मस्थान है. हिन्दू और मुस्लिम दोनों इसे मानते हैं. सुनवाई के दौरान जस्टिस अशोक भूषण ने परासरन से पूछा कि क्या जन्मस्थान को भी जीवित व्यक्ति का दर्जा देते हुए मामले में पक्षकार बनाया जा सकता है. हम जानते है कि मूर्ति (देवता) को कानूनन जीवित व्यक्ति का दर्जा हासिल है, लेकिन जन्मस्थान को लेकर क्या कानून है.

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परासरन ने जवाब दिया ये तय होना अभी बाकी है, लेकिन ऐसा नहीं है कि सिर्फ मूर्ति को कानूनन जीवित व्यक्ति का दर्जा हासिल है. जस्टिस बोबड़े ने ध्यान दिलाया कि हालिया फैसले में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नदी को जीवित व्यक्ति का दर्जा दिया था. उन्होंने सवाल किया कि क्या नदी को भी देवता माना जा सकता है?

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परासरन ने कहा- हां, नदियों को भी देवी के रूप में पूजा की जाती है. सूरज भी देवता है. उसकी मूर्ति नहीं है, लेकिन वो देवता है, लिहाजा उन्हें कानूनन जीवित व्यक्ति का दर्जा हासिल है. परासरन ने जवाब दिया कि जहां तक हिंदुओं का सवाल है. ज़्यादातर मंदिरों में मूर्तियां है लेकिन ऐसे भी मंदिर है, जहां शिव लिंग के रूप में मौजूद हैं. बहरहाल कोर्ट ने के परासरन से कहा कि वो इस बिंदु पर बाद में नोट दे सकते है. परासरन फिर से बाकी दलीलें जारी रखेंगे.

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अखाड़े को कब्जा साबित करना होगा
सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े से पूछा है कि क्या उनके पास विवादित जमीन के सरकारी नियंत्रण में दिये जाने से पहले अपने दावे को साबित करने राजस्व रिकॉर्ड या मौखिक सबूत है. कोर्ट ने कहा चूंकि अखाड़े ने ज़मीन पर कब्जा रहने का दावा किया है. उन्हें ये साबित भी करना होगा. अगर आप कोई रेवेन्यू रिकॉर्ड पेश करते हैं तो ये आपके पक्ष में अहम सबूत साबित होगा.

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निर्मोही अखाड़े ने असमर्थता जाहिर करते हुए कहा कि 1982 में एक डकैती में कई दस्तावेज गायब हुए. अखाड़े ने निचली अदालत के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि कैसे उसके दावों को अदालत में डील कराये. इस पर कोर्ट ने निर्मोही के वकील को दस्तावेज जुटाने के लिए और समय दिया. बता दें कि अयोध्या में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर 6 अगस्‍त से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है.

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