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अयोध्या केस: मुस्लिम पक्ष की वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने ASI को नकारा, बोलीं ये धारणाओं के आधार पर काम करता है

मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि पुरातत्वविद सिर्फ अनुमान के आधार पर काम करते हैं, इससे किसी पुख्ता निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता है

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Sushil Kumar
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Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

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जिलानी के बाद मुस्लिम पक्ष के लिए मीनाक्षी अरोड़ा बहस कर रही हैं. वो पुरातत्व खुदाई पर बहस कर रही हैं .मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि जब मंहत रघुबरदास ने मंदिर के निर्माण के लिए केस दायर किया तो वो सिर्फ रामचबूतरे पर मंदिर निर्माण के लिए किया था. न कि उस जगह पर जहां मस्जिद था. अरोड़ा ने कहा कि जब 1863 में जब कोर्ट ने मंदिर निर्माण की मांग को ये कहते हुए इंकार कर दिया था कि 350 साल पुरानी स्थिति (बाबरी मस्जिद के निर्माण से) को बदलना आसान नहीं है तो फिर क्या 500 साल बाद सिर्फ मौखिक बयानों और गैजेटियर को आधार बनाकर हिन्दू पक्ष का दावा करना ठीक है.

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मुस्लिम पक्ष की वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने हिंदू पक्ष के द्वारा जन्मस्थान को लेकर पुरातात्विक सबूतों (ASI)को नकारते हुए कहा कि पुरातत्व विज्ञान, भौतिकी और रसायन की तरह विज्ञान नहीं है. ये धारणाओं के आधार पर काम करता है. पुरातत्वविद सिर्फ अनुमान के आधार पर काम करते हैं. इससे किसी पुख्ता निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता है. मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि हालांकि ASI रिपोर्ट से भी ये निष्कर्ष नहीं निकलता कि क्या मस्जिद को बनाने के लिए किसी निर्माण को विध्वंस किया गया. हालांकि ASI को इस बारे में रिपोर्ट देने को कहा गया था, लेकिन ASI रिपोर्ट में इस बिंदू पर कुछ नहीं कहा गया. मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि अगर ASI की रिपोर्ट किसी विध्वंस की बात की पुष्टि नहीं करती और मस्जिद ऐसी जगह बनाई गई जहां कोई विध्वंश नहीं हुआ था तो फिर इस मुकदमें का मतलब क्या है.

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इस पर जस्टिस चन्दचूड़ ने कहा कि क्या विध्वंश वाली बात साबित करने की ज़रूरत है. क्या सिर्फ इतना ही साबित करना काफी नहीं है कि मस्जिद के नीचे एक ढांचा था. मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि अगर एक ढांचा गिर जाता है और उसका मालिक अरसे तक उसे फिर से स्थापित करने के लिए कुछ नहीं करता और कोई दूसरा उस खाली पड़ी बंजर ज़मीन पर सालों बाद कुछ निर्माण कर लेता है तो इसमें बुरा क्या है. मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि हिंदू पक्ष विवादित ज़मीन पर मंदिर की मौजूदगी साबित के लिए 17 वीं सदी के यात्रा संस्मरणों का उल्लेख कर रहा है. उन्हें ठोस सबूत रखने चाहिए.

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मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि एएसआई रिपोर्ट की summary पर एएसआई टीम के किसी भी सदस्य के हस्ताक्षर नहीं हैं. इस पर जस्टिस एस ए बोबड़े ने मीनाक्षी अरोड़ा से पूछा कि क्या वो ये आरोप लगा रही हैं क्या कि में इस summary को बाद में डाला गया? मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि वह ऐसा कोई आरोप नहीं लगा रही हैं.कोर्ट ने यह भी कहा कि एएसआई रिपोर्ट पर आपने हाई कोर्ट में आपत्ति दर्ज नहीं कराई. अरोड़ा ने दावा किया कि उन्होंने हाई कोर्ट में भी आपत्ति जताई थी, लेकिन कोर्ट ने इस पर ध्यान नहीं दिया. जस्टिस बोबड़े ने कहा कि क्या अब अपील में सुनवाई के समय इन बातों को उठाया जा सकता है.

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सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि अब यह एएसआई रिपोर्ट रिकॉर्ड का हिस्सा बन चुकी है. सीजेआई ने यह भी कहा कि आप उन बातों को यहां उठा रही हैं जिन्हें आपको निचली अदालत में उठाना चाहिए था. मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि उन्होंने निचली अदालत और हाई कोर्ट में भी आपत्ति उठाई थी और वह कल इसको लेकर दस्तावेज़ अदालत में रखेगी.

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