प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लोकसभा में राम मंदिर ट्रस्ट के बारे में घोषणा की. इसके कुछ देर बाद ट्रस्ट से जुड़े 15 सदस्यों के बारे में जानकारी सामने आई. इसमें एक नाम बिहार के कामेश्वर चौपाल का भी है. ट्रस्ट में खुद को सदस्य चुने जाने पर कामेश्वर चौपाल ने कहा कि मेरा जीवन राम मंदिर के लिए था. संघर्ष कभी ओझल हुआ ही नहीं मेरी आंखों से.
ट्रस्ट के सदस्य बनाए जाने को लेकर उन्होंने कहा कि इसे मैं जिम्मेदारी कहूंगा. आज मैं होशोहवास में हूं. जवान था तभी भी मेरा जीवन राम मंदिर के लिए ही था. संघर्ष कभी मेरी आंखों से कभी ओझल हुआ ही नहीं. इस सरकार को बहुत धन्यवाद कि कोर्ट के आदेशानुसार समयबद्ध तरीके से काम किया.
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उन्होंने आगे कहा कि ट्रस्ट में लगे लोग अब ध्यान देंगे. करोड़ों लोगों की आशाओं को पूरा करेंगे. जीवन भर में इस वक्त उत्साह है. दलित शब्द और दलित चेहरे को ट्रस्ट में शामिल करना...लोगों की आंखें खोलने वाली घटना होगी. आजाद भारत में इतने बड़े काम के लिए एक दलित का शामिल किया जाना बड़ी बात है.
कामेश्वर चौपाल ने आगे कहा कि ट्रस्ट के लोग समाज की भावनाओं का पालन करेंगे. वाल्मीकि, व्यास दलित वर्ग से आए, समाज ने दिल से लगाया है. समाज किसी के जन्म नहीं कर्म के आधार पर भेदभाव होता है. अगर भेदभाव होता तो भीम राव अंबेडकर इस देश के नायक नहीं होते.
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बता दें कि बिहार सुपौल के रहने वाले कामेश्वर चौपाल वहीं नेता हैं जिन्होंने 1989 में राम मंदिर की नींव के लिए पहली ईंट रखी थी. कामेश्वर चौपाल दो बार बिहार में विधान परिषद के सदस्य भी रह चुके हैं. दलित नेता कामेश्वर चौपाल की राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका थी. वह श्रीराम लोक संघर्ष समिति के बिहार प्रदेश के संजोयक और बीजेपी के प्रदेश महामंत्री भी रह चुके हैं