प्रयागराज कुंभ मेले में आयोजित परमधर्मसंसद ने बुधवार को ऐलान किया कि राम मंदिर के शिलान्यास के लिए 21 फरवरी को शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के नेतृत्व में देश के साधु-संत अयोध्या कूच करेंगे. धर्म संसद ने देश के हरेक हिन्दुओं से मंदिर निर्माण के लिए 21 फरवरी को 4 शिला लेकर अयोध्या पहुंचने का ऐलान किया है. स्वामी स्वरूपानंद के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंनद ने कहा, 'आज गली-गली में धर्म संसद हो रही है, गृहस्थ लोग धर्म संसद नहीं बुला सकते हैं. धर्म संसद सिर्फ धर्माचार्य शंकराचार्य ही बुला सकते हैं.' बता दें कि अयोध्या विवाद (राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद) का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.
स्वरूपानंद ने कहा, 'मंदिर एक दिन में नहीं बनेगा, लेकिन जब शुरू होगा तभी तो बनेगा. इसलिए 21 फरवरी को शिलान्यास के जरिये मंदिर का निर्माण शुरू होगा.'
स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा, 'ऐतिहासिक साक्ष्यों से सिद्ध हो चुका है कि अयोध्या में ना तो बाबर आया था और ना ही मीर बकी कभी अयोध्या आया था. बाबरी मस्जिद का उल्लेख ना तो बाबर नामा में है और ना ही आईने अकबरी में है.'
उन्होंने कहा, 'जिस विवादित ढांचे को मस्जिद कहा जाता है वो कभी मस्जिद थी ही नहीं. वो ढांचा ही मन्दिर था और 1992 में कुछ उन्मादी लोगों ने मंदिर को ही तोड़ दिया था. और अब उस जगह को विवादित बता कर छोड़ने की बात कही जा रही है.
उन्होंने कहा, 'ये धर्मसंसद भगवान को परमात्मा मानती है लेकिन दूसरी धर्मसंसद भगवान राम को परमात्मा नहीं महापुरूष मानते हैं. इसलिए सरदार वल्लभभाई पटेल की तरह उनका पुतला बनाना चाहते हैं. हमारे यहां मूर्ति लोहे या सीमेंट की नहीं, अष्टधातु, लकड़ी या मिट्टी की बनती है.'
उन्होंने कहा, हाई कोर्ट कह चुका है कि जहां रामलला विराजमान हैं वही जन्मभूमि है, इसलिए मन्दिर वहीं बनेगा. फिर वो जगह विवादित कैसे है, उसे छोड़ा कैसे जाएगा? उन्होंने कहा कि हमें कंबोडिया की तरह विशाल मंदिर अयोध्या में बनवाना है. अयोध्या को वेटिकन सिटी का दर्जा दिया जाय.
28, 29 और 30 जनवरी को हुए परमधर्मसंसद के आखिरी दिन स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा पारित परम धर्मादेश में कहा गया है, 'सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रथम चरण में हिंदुओं की मनोकामना की पूर्ति के लिए यजुर्वेद, कृष्ण यजुर्वेद और शतपथ ब्राह्मण में बताए गए इष्टिका न्यास विधि सम्मत कराने के लिए 21 फरवरी, 2019 का शुभ मुहूर्त निकाला गया है.'
धर्मादेश के मुताबिक, 'इसके लिए यदि हमें गोली भी खानी पड़ी या जेल भी जाना पड़े तो उसके लिए हम तैयार हैं। यदि हमारे इस कार्य में सत्ता के तीन अंगों में से किसी के द्वारा अवरोध डाला गया तो ऐसी स्थिति में संपूर्ण हिंदू जनता को यह धर्मादेश जारी करते हैं कि जब तक श्री रामजन्मभूमि विवाद का निर्णय नहीं हो जाता अथवा हमें राम जन्मभूमि प्राप्त नहीं हो जाती, तब तक प्रत्येक हिंदू का यह कर्तव्य होगा कि चार इष्टिकाओं को अयोध्या ले जाकर वेदोक्त इष्टिका न्यास पूजन करें.'
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धर्मादेश में कहा गया है, 'न्यायपालिका की शीघ्र निर्णय की अपेक्षा धूमिल होते देख हमने विधायिका से अपेक्षा की और 27 नवंबर, 2018 को परम धर्मादेश जारी करते हुए भारत सरकार एवं भारत की संसद से अनुरोध किया था कि वे संविधान के अनुच्छेद 133 एवं 137 में अनुच्छेद 226 (3) के अनुसार एक नई कंडिका को संविधान संशोधन के माध्यम से प्रविष्ट कर उच्चतम न्यायालय को चार सप्ताह में राम जन्मभूमि विवाद के निस्तारण के लिए बाध्य करे.'
उन्होंने कहा, 'लेकिन बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि संसद में पूर्ण बहुमत वाली सरकार ने राम जन्मभूमि के संबंध में कुछ भी करने से इनकार कर दिया. वहीं दूसरी ओर, इस सरकार ने दो दिन में ही संसद के दोनों सदनों में आरक्षण संबंधित विधेयक पारित करवाकर अपने प्रचंड बहुमत का प्रदर्शन किया था.'
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स्वरूपानंद ने गुरुवार से शुरू हो रही वीएचपी (विश्व हिंदू परिषद) की धर्मसंसद पर कटाक्ष करते हुए कहा, 'कल से एक और धर्मसंसद शुरू हो रही है, अगर कोई विपरीत बात होती है तो हम उसका जवाब भी देंगे, हम कहीं नहीं जा रहे हैं.'
धर्मसंसद ने नारा दिया, 'घास की रोटी खाएंगे, मंदिर नहीं बनाएंगे. राम लला हम आ रहे हैं, मंदिर वहीं बना रहे हैं.'
Source : News Nation Bureau