बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट से अयोध्या विवाद पर जल्द सुनवाई की मांग की। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह के संवेदनशील मसलों का हल आपसी सहमति से निकाला जाना बेहतर है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह मांग पर अगले शुक्रवार को विचार करेगा। SC ने टिप्पणी की, 'इस तरह के संवेदनशील मसलों का हल आपसी सहमति से निकाला जाना बेहतर है। दोनों पक्षों को आपस में हल निकालने की कोशिश करनी चाहिए। जो सभी पक्षों को मान्य हो।'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मसले का हल अगर बातचीत से नहीं निकल सकता है तो अदालत इस मामले में हस्तक्षेप कर सकती है। साथ ही इसके हल के लिये एक मध्यस्थ भी नियुक्त कर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह केहर, न्यायमूर्ति डी.वाय. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की सदस्यता वाली पीठ ने यह बात भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता सुब्रमण्यम स्वामी की इस अपील की कि शीर्ष अदालत इस मामले में 2010 के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के लिए एक अलग पीठ गठित करे।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश में कहा गया था कि विवाद को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों के बीच अयोध्या भूमि का बंटवारा कर दिया जाना चाहिए।
Ayodhya Matter: SC suggested & asked Swamy to sort out issue through negotiations which would be agreed upon by all petitioners&respondents
— ANI (@ANI_news) March 21, 2017
Ayodhya Matter: If negotiations break down then SC will intervene & appoint a mediator for resolution
— ANI (@ANI_news) March 21, 2017
जस्टिस केहर ने यह कहते हुए कि दोनों पक्षों के बीच समझौता सबसे बेहतर होगा, मामले में मध्यस्थ की भूमिका अदा करने का प्रस्ताव भी रखा। उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि वह न्यायिक पहलू से मामले की सुनवाई नहीं करेंगे।
जस्टिस कौल की ओर इशारा करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि वह भी मामले में मध्यस्थता कर सकते हैं।
जस्टिस केहर ने बीजेपी नेता स्वामी से कहा, 'आप किसी को भी चुन सकते हैं। अगर आप चाहते हैं कि मैं मध्यस्थता करूं तो मैं मामले की (न्यायिक पहलू से) सुनवाई नहीं करूंगा। या अगर आप चाहें तो मेरे भाई (जस्टिस कौल) को चुन सकते हैं। विवाद हैं। आप सभी साथ बैठकर फैसला करें।'
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राज्यसभा सांसद और मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा, 'जहां भगवान राम का जन्म हुआ उस जगह को नहीं बदला जा सकता लेकिन नमाज कहीं भी पढ़ी जा सकती है।'
इधर सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश का बीजेपी ने स्वागत किया है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा कि बीजेपी हमेशा से इस पक्ष में रही है कि इस मसले का जल्द से जल्द हल निकालना चाहिए फिर चाहे वो अदालत के दखल से हो या आपसी बातचीत के जरिये।
HIGHLIGHTS
- SC ने अयोध्या विवाद पर कहा, संवेदनशील मसलों का हल आपसी सहमति से निकाला जाना बेहतर
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर बातचीत से हल नहीं निकल सकता है तो हस्तक्षेप किया जाएगा
- सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा, जहां भगवान राम का जन्म हुआ उस जगह को नहीं बदला जा सकता
Source : News Nation Bureau