सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शनिवार को अयोध्या विवाद मामले में अपना फैसला (Ayodhya Verdict) सुनाया. धार्मिक आस्था से जुड़ी इस लंबी लड़ाई में भारतीय जनता पार्टी (BJP), राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और विश्व हिंदू परिषद (VHP) के वरिष्ठ नेताओं के साथ ही हजारों कारसेवक भी शामिल रहे हैं, जिन्होंने 1992 में अयोध्या में 16वीं शताब्दी में बने विवादित ढांचे को गिराने में भूमिका निभाई. 1980 के दशक में उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की मांग बढ़ी, जिसके बाद वरिष्ठ भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने 1990 में देशव्यापी रथ यात्रा का नेतृत्व किया. 1992 में अयोध्या में भाजपा, विहिप और आरएसएस द्वारा एक बड़ी रैली की गई, जिसके बाद छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया.
आइये हम आपको राम मंदिर आंदोलन के कुछ प्रमुख चेहरों से रूबरू करवाते हैं, जो राम मंदिर आंदोलन के दौरान काफी प्रसिद्ध हुए
लाल कृष्ण आडवाणी : भाजपा अध्यक्ष के रूप में आडवाणी ने 1990 में गुजरात के सोमनाथ से रथयात्रा शुरू की, जिसका समापन अयोध्या में होना था. उनकी रथयात्रा ने देश भर में लोकप्रियता हासिल की, क्योंकि उनका हर उस स्थान पर जोरदार स्वागत किया गया, जहां वह पहुंचे. इस तरह राम मंदिर के निर्माण की मांग को बल मिला.
मुरली मनोहर जोशी : जोशी ने अपने पूर्ववर्ती आडवाणी की तरह 1991 में भाजपा अध्यक्ष का पद संभाला था. उन्होंने मंदिर के लिए हो रहे आंदोलन में एक प्रमुख भूमिका निभाई. सीबीआई के अनुसार, जोशी पर आरोप है कि वह छह दिसंबर को आरएसएस के अन्य नेताओं के साथ मंच पर थे. उन पर बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाया गया है.
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कल्याण सिंह : जब बाबरी मस्जिद के ढांचे को हजारों कारसेवकों द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था तब सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. मस्जिद के विध्वंस के बाद हालांकि उन्होंने स्थिति को नियंत्रित करने में विफल रहने के बाद छह दिसंबर की शाम को पद से इस्तीफा दे दिया. सिंह ने छह दिसंबर की रैली से पहले सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामे पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें कहा गया था कि वह और उनकी सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि मस्जिद को नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा.
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उमा भारती : भारती भी छह दिसंबर को अयोध्या में मौजूद भाजपा नेताओं में से एक थीं. उन पर सांप्रदायिक भाषण देने और हिंसा भड़काने का आरोप है. सीबीआई द्वारा की गई जांच में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में उन पर आपराधिक साजिश रचने का भी आरोप है.
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अशोक सिंघल : सिंघल विहिप के अध्यक्ष थे और 1984 में अभियान के पीछे रहे उन प्रमुख लोगों में से एक थे, जिन्होंने अयोध्या में राम मंदिर की मांग की. उन्हें राम मंदिर आंदोलन के वास्तुकारों में से एक माना जाता है, जिसने 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस का नेतृत्व किया था.
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पी. वी. नरसिम्हा राव : 1992 में बाबरी मस्जिद गिरने के समय राव प्रधानमंत्री थे. कई लोगों ने उन्हें निष्क्रियता के लिए दोषी ठहराया. लिब्रहान आयोग ने इस घटना की जांच की. राव की सरकार ने उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने का विचार किया था, लेकिन राज्य सरकार ने एक हलफनामे के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया कि मस्जिद को कोई नुकसान नहीं होगा.
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लालू प्रसाद यादव : राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता 1990 में बिहार के मुख्यमंत्री थे और आडवाणी की रथयात्रा के खिलाफ अपने निर्णायक रुख के लिए काफी चर्चित हुए. उन्होंने उस समय सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को रोकने के लिए 23 अक्टूबर 1990 को बिहार के समस्तीपुर से आडवाणी की गिरफ्तारी का आदेश दिया.
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विजया राजे सिंधिया : ग्वालियर की राजमाता और भाजपा की एक वरिष्ठ नेता सिंधिया छह दिसंबर को भाजपा, आरएसएस और विहिप नेताओं के साथ अयोध्या की रैली में मौजूद जाने-माने नेताओं में से एक थीं.
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बाल ठाकरे : शिवसेना सुप्रीमो ठाकरे हालांकि बाबरी मस्जिद के विध्वंस के स्थल पर कभी मौजूद नहीं रहे, लेकिन माना जाता है कि वह ढांचे को गिराने की साजिश का हिस्सा रहे थे. 1992 में मस्जिद के विध्वंस के बाद, ठाकरे ने दावा किया था कि उनके संगठन ने मस्जिद को गिराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.