सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मसले की सुनवाई के दौरान भले ही कई बार भगवान श्री राम और उनके जन्मस्थान की प्रामाणिकता को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला हो, लेकिन सच तो यह है कि भगवान श्री राम के अस्तित्व पर इतिहासकारों और धर्मवेत्ताओं को कभी कोई संदेह नहीं रहा. वाल्मीकि रामायण के मुताबिक राम का जन्म चैत्र मास की नवमी को पुनर्वसु नक्षत्र तथा कर्क लग्न में अयोध्या के राजा दशरथ की पहली पत्नी कौशल्या के गर्भ से हुआ था. तभी से यह दिन समस्त भारत में रामनवमी के रूप में मनाया जाता है.
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300 से ज्यादा तथ्य भगवान राम के अस्तित्व पर
फादर कामिल बुल्के ने करीब 300 से ज्यादा तथ्यों को लोगों के सामने पेश किया जिससे पता चलता है कि राम थे और यहीं थे. उन्होंने 'रामकथा : उत्पत्ति और विकास' किताब भी लिखी है. फादर कामिल बुल्के 26 साल की उम्र में ईसाई धर्म का प्रचार करने भारत आए थे, लेकिन यहां आकर उन्होंने अपना पूरा जीवन हिंदी भाषा के लिए खपा दिया. बेल्जियम में एक सितंबर 1909 को पैदा हुए फादर बुल्के ने 1950 में भारत की नागरिकता ली थी. हिंदी की अप्रतिम सेवा के लिए उन्हें 1974 में देश का तीसरे सर्वोच्च सम्मान पद्मभूषण तक से नवाजा गया.
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राम एक ऐतिहासिक व्यक्ति थे और इसके हैं प्रमाण
2016 में ललित कला अकादमी में आयोजित एक प्रदर्शनी में शोधकर्ताओं ने कहा था कि 5114 ईसा पूर्व 10 जनवरी को दिन के 12.05 बजे भगवान राम का जन्म हुआ था. श्रीलंका में राम से जुड़े कई पर्यटक स्थल हैं, जिन्हें श्रीलंका सरकार भी मानती है. श्री रामायण रिसर्च कमेटी के अशोक कैंथ ने श्रीलंका में अशोक वाटिका और दूसरे स्थलों की खोज की है. श्रीलंका सरकार ने 2007 में रिसर्च कमेटी का गठन किया था. कमेटी में श्रीलंका के पर्यटन मंत्रालय के डायरेक्टर जनरल क्लाइव सिलवम, ऑस्ट्रेलिया के डेरिक बाक्सी, श्रीलंका के पीवाई सुंदरेशम, जर्मनी की उर्सला मुलर, इंग्लैंड की हिमी जायज शामिल थे.
HIGHLIGHTS
- भगवान श्री राम के अस्तित्व पर इतिहासकारों और धर्मवेत्ताओं को कभी कोई संदेह नहीं रहा.
- फादर कामिल बुल्के ने करीब 300 से ज्यादा तथ्यों को पेश कर श्रीराम के अस्तित्व को स्वीकारा था.
- फादर कामिल बुल्के 26 साल की उम्र में ईसाई धर्म का प्रचार करने भारत आए थे.