सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अयोध्या में विवादित करार दी गई जमीन के मालिकाना हक को लेकर एकमत से ऐतिहासिक फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने 2.77 एकड़ जमीन पर मंदिर बनाए जाने का रास्ता साफ कर दिया है. मंदिर निर्माण के लिए जमीन रामलला विराजमान को देते हुए कोर्ट ने सरकार को तीन महीने में ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया है. इसके साथ ही अदालत ने मस्जिद के लिए अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन भी देने के निर्देश अनुच्छेद 142 के तहत दिए हैं. यह अनुच्छेद सुप्रीम कोर्ट को वह अधिकार देता है, जिसे टालना आसान नहीं होता. आइए देखते हैं कि आखिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अहम बातें क्या रहीं.
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निर्मोही अखाड़े की याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या की विवादित जमीन के मालिकाना हक पर फैसला सुनाते हुए इस जमीन को राम जन्मभूमि न्यास को सौंप दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने अपने आदेश में निर्मोही अखाड़ा की याचिका को खारिज कर दिया. इसका अर्थ है कि निर्मोही अखाड़े को इस जमीन का कोई मालिकाना हक नहीं है. कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े को सेवादार का भी अधिकार नहीं दिया है. इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने सुन्नी वक्फ बोर्ड की याचिका को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट के पूर्व में दिए गए फैसले को पलटा भी. इसके साथ ही सूट 5 के तहत प्रार्थना के अधिकार को धर्म और आस्था का अधिकार मानते हुए उस पर फैसला तैयार किया.
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ट्रस्ट करेगा मंदिर निर्माण
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि तीन माह के भीतर केंद्र सरकार एक ट्रस्ट बनाए, जो अयोध्या एक्ट 1993 के तहत जमीन का अधिग्रहण कर सकेगा. इसके साथ ही एक्ट के विभिन्न खंडों के आधार पर ट्रस्ट के प्रबंधन और उसके अधिकारों को तय करेगी. इसके बाद केंद्र सरकार अयोध्या में मालिकाना हक के तहत भीतरी और बाहरी प्रांगण ट्रस्ट के सुपुर्द किया जा सकेगा. इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार को यह अधिकार भी प्रदान किया है कि वह अयोध्या एक्ट में संशोधन कर अधिग्रहित भूमि का प्रबंधन भी आगे के प्रयोग के लिए ट्रस्ट के सुपुर्द कर सके. इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने यह भी ताकीद करते हुए कहा कि यह काम बकायदा एक नोटीफिकेशन जारी कर किया जा सकेगा.
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मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ जमीन
इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने यह भी साफ कहा कि मस्जिद के निर्माण के लिए 5 एकड़ की भूमि मुस्लिम पक्ष को दी जाए. इसके लिए अदालत ने अयोध्या एक्ट 1993 के तहत इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार को अधिकार दिए हैं. इसके लिए सर्वोच्च अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार को परस्पर समन्वय के तहत काम कर जमीन चिन्हित करने को कहा है. इस बिंदू के तहत सुन्नी वक्फ बोर्ड उस जमीन पर मस्जिद बना सकेगा. सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत सर्वोच्च अदालत को मिले अधिकारों का प्रयोग किया है. इससे साफ हो गया है कि अयोध्या में किसी महत्वपूर्ण स्थान पर ही मस्जिद का निर्माण भी हो सकेगा.
HIGHLIGHTS
- सुप्रीम कोर्ट ने 2.77 एकड़ जमीन पर मंदिर बनाए जाने का रास्ता साफ कर दिया है.
- मस्जिद के लिए अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन भी देने के निर्देश.
- आइए देखते हैं कि आखिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अहम बातें क्या रहीं.