हाल ही में सरकार द्वारा घोषित भारत रत्न को लेकर योगगुरु बाबा रामदेव ने एक तरह से नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने सवालिया अंदाज में पूछा- क्या महर्षि दयानंद सरस्वती और स्वामी विवेकानंद का कलाकारों और राजनेताओं से कम योगदान है. उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा- आज तक एक भी संन्यासी को भारत रत्न नहीं दिया गया. आखिर क्यों नहीं दिया गया? मदर टेरेसा को दिया जा सकता है, क्योंकि वो ईसाई थीं, लेकिन संन्यासियों को नहीं, क्योंकि वो हिंदू हैं. उन्होंने पूछा- इस देश में हिंदू होना गुनाह है?
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यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पिछले 70 वर्षों में किसी भी संन्यासी को भारत रत्न नहीं दिया गया. उन्होंने कहा- महर्षि दयानंद सरस्वती, स्वामी विवेकानंद या फिर शिवकुमार स्वामी जी हों, सभी ने इस देश को बनाने में किसी भी राजनेता, कलाकार, इतिहासकार, समाजसेवी से अधिक भूमिका निभाई है.
बता दें कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने भारत रत्न की घोषणा की है, जिसमें पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, नानाजी देशमुख और भूपेन हजारिका शामिल हैं. पिछले साल केंद्र सरकार बाबा रामदेव को पद्म पुरस्कार देने जा रही थी, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया था. तब उन्होंने कहा था- एक संन्यासी के लिए पुरस्कार कोई मायने नहीं रखते.
Source : News Nation Bureau